उज्जैन। राज्य शासन द्वारा उज्जैन संभाग में केवल उज्जैन के शा.माधवनगर को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था। यहां पर शासन स्तर पर गंभीरता रखते हुए आधुनिक आइसीयू बनाई गई और आधुनिक उपकरण स्थापित किए गए। इस हॉस्पिटल को केवल कोरोना मरीजों के उपचार के लिए रखा जाने के बाद यहां स्टॉफ पदस्थ किया गया, जोकि कोरोना मरीजों को स्वयं की जान की परवाह किए बगैर उपचार देते रहे। इन्ही कोरोना यौद्धाओं को शासन, प्रशासन सीएमएचओ कार्यालय भूल गया। यहां का स्टॉफ बांट जोह रहा है कि कब उनका नम्बर आएगा और कब वे जोखिम के बीच काम करते हुए स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे?
इस हॉस्पिटल में करीब 275 लोगों का स्टॉफ काम कर रहा है। इस स्टॉफ में शासकीय एवं संविदा पर रखे गए चिकित्सक, पेरा मेडिकल स्टॉफ, स्वच्छक आदि शामिल है। इनमें से करीब 90 प्रतिशत स्टॉफ में इस बात को लेकर रोष है कि सबसे पहले वैक्सीनेशन इस हॉस्पिटल के स्टॉफ का होना था, क्योंकि यहां केवल कोरोना पॉजीटिव्ह का ही उपचार हो रहा है। ऐसा न करके जिला अस्पताल, चरक अस्पताल आदि के हैल्थ वर्कर्स को टीका लगा दिया गया, जबकि उन्हे अत्यधिक जोखिम के बीच काम नहीं करना पड़ रहा है।
इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल ने कहाकि यह सही है कि अत्यधिक जोखिम में काम कर रहे शा.माधवनगर के हैल्थ वर्कस को अभी तक टीका नहीं लग पाया। जानकारी में आने पर तय किया गया है कि सोमवार को अलग से इसी हॉस्पिटल में सेंटर बनाकर सभी को टीका लगाया जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved