भोपाल। धान के समर्थन मूल्य खरीदी में सिकमी पंजीयन का व्यापक फर्जीवाड़ा सामने आया है। पाया गया है कि कारोबारियों ने सिकमी के नाम पर कई गांवों और काफी संख्या में किसानों की जमीन का पंजीयन करवा लेते हैं। बाद में इस पंजीयन की आड़ में समर्थन मूल्य पर बाहर की धान बेचते हैं। इस तरह के काफी मामले सामने आने के बाद अब शासन ने इस फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए सिकमी की रकवे की 5 हैक्टेयर की सीलिंग कर दी है। इसके बाद अब 5 हैक्टेयर से ज्यादा रकवे की सिकमी नहीं हो सकेगी। जारी आदेश में प्रमुख सचिव खाद्य फैज अहमद किदवई ने कहा है कि सर्मथन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन ई-पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से किया जाता है। गिरदावरी के माध्यम से भूमि का रकवा और फसल की बोनी की जानकारी ली जाकर भूमि स्वामी, वन पट्टाधारी सहित सिकमी व बंटाईदार का पंजीयन किया जाता है। लेकिन धान खरीदी में व्यापक फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलने पर सिकमी पंजीयन और इसकी खरीदी का गहन विश्लेषण किया गया और पाया गया कि इसके सहारे गड़बड़ी की गई है।
यह मिली गड़बड़ी
कुल धान खरीदी में जब सिकमी पंजीयन से बेची गई धान और 5 हैक्टेयर से ऊपर सिकमी पंजीयन पर बेची गई धान के विश्लेषण से चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। पाया गया कि सिकमी बंटाईदार का कोई विधिवत रिकार्ड संधारित नहीं होने के कारण कुछ लोग कई किसानों व कई गांव के किसानों के रकवे का ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन करा कर अवैधानिक रूप से समर्थन मूल्य योजना का लाभ ले रहे हैं।
अब यह होगी नई व्यवस्था
रबी विपणन वर्ष 2021-22 में गेहूं खरीदी के लिए सिकमी पंजीयन की व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि सिकमी बंटाईदार आवेदनकर्ता का उपार्जन के लिए अधिकतम अनुबंधित रकवा 5 हेक्टेयर से अधिक नहीं होगा। सिकमी बटाईदार की एक प्रति पंजीयन कराने वाले व्यक्ति या किसान द्वारा संबंधित तहसीलदार को उपलब्ध करानी होगी। पंजीयन के समय सिकमी बंटाईदार के साथ मूल भू-स्वामी का आधार नंबर की जानकारी ली जाएगी। 15 फरवरी तक कराए गए सिकमी अनुबंध ही मान्य होंगे। सिकमी पंजीयन का रकवा व फसल राजस्व विभाग के सत्यापन के बाद ही मान्य होगा।
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