राजस्व की निकली जमीन… अब गेंद प्रशासन के पाले में
इंदौर। पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर और उनके समर्थकों पर पिछले दिनों अवैध उत्खनन के मामले में डकैती तक के आरोप वन पाल ने लगा दिए थे, जिसके चलते हल्ला मचा और वन विभाग कई दिनों तक जांच और नपती ही नहीं कर पाया। अब इस मामले में एक नया खुलासा यह हुआ कि जमीन राजस्व की निकली। यानी अब वन विभाग की बजाय कार्रवाई के लिए गेंद प्रशासन के पाले में आ गई। वन विभाग के साथ राजस्व अमले ने जमीन का सीमांकन करने के बाद कलेक्टर को इसकी रिपोर्ट सौंप दी है। दूसरी तरफ वन विभाग ने इस मामले में शिकायत दर्ज करवाने वाले वन पाल का तबादला भी कर दिया था।
कल जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने वाचू पाइंट पर इस मामले में बैठक की थी, जिसमें वन विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे। दरअसल, मंत्री के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाने की लिखित शिकायत के बाद बवाल मचा। हालांकि बाद में वन मंत्री विजय शाह ने उच्च स्तरीय जांच का बहाना बनाकर पर्यटन मंत्री को क्लीनचिट भी दे डाली। इधर, ग्राम बशी पीपरी स्थित सर्वे नं. 168, 170, 170/548 के साथ जामनिया कक्ष क्र. 66 की जांच की गई, जिसमें नायब तहसीलदार ने जिन सर्वे नंबरों का सीमांकन किया, वे जमीनें राजस्व भूमि की सीमा के अंदर पाई गई। सर्वे क्र. 170, रकबा 7.588 हैक्टेयर भूमि पर निजी स्वामित्व भी पाया गया। वहीं सर्वे नं. 169, 172, 173, 174 की जमीनें भी राजस्व की ही निकली। लिहाजा अब कार्रवाई की गेंद प्रशासन के पाले में आ गई है। इस संबंध में प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि मौके की रिपोर्ट मिलने के बाद यथोचित कार्रवाई होगी। मगर फिलहाल यह तय है कि वन विभाग की बजाय राजस्व की ही जमीन निकली है।
उल्लेखनीय है कि 11 जनवरी की रात को अवैध खनन के मामले में जेसीबी व ट्रैक्टर ट्रॉली छुड़ाने का आरोप वनपाल रामपाल सुरेश दुबे ने लगाया और इस संंबंध में लिखित आवेदन भी पुलिस को दे डाला, जिसमें पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के साथ उनके समर्थकों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया, जिसको लेकर भोपाल तक बवाल मचा और वन मंत्री को बयान देने के साथ जांच करवाने की बात कहना पड़ी। वहीं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने अपने खिलाफ लगाए आरोपों का खंडन भी किया और कहा कि ग्रामीणों की मदद के लिए सडक़ निर्माण के लिए निजी जमीन से मुर्रम-मिट्टी खोदकर डाली गई थी। इधर, राजस्व निरीक्षक बडग़ोंदा, हल्का पटवारी ग्राम बशी पीपरी और अन्य ने सीमाओं की जांच की, जिसमें ग्राम की सीमा एवं वन विभाग के मुनारे एक-दूसरे पर ओवरलेप भी पाए गए और वन विभाग के कर्मचारियों की मौजूदगी में कक्ष क्र. 66 की सीमा से लगे हुए राजस्व विभाग के सर्वे नम्बर 169 सहित अन्य का सीमांकन किया गया और राजस्व भूमि की सीमा वन विभाग को स्पष्ट रूप से बताई गई।
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