भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक इस बार बेंगलुरु में 19 और 20 मार्च को होने जा रही है। संघ के इतिहास में पहली बार नागपुर से बाहर होने जा रही यह चुनावी बैठक इसीलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें संघ में नंबर दो के पद यानी सरकार्यवाह का चुनाव होना है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं के शामिल होने की संभावना है। हालांकि, संघ की यह बैठक पिछले साल मार्च में होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते नहीं हो सकी थी। आरएसएस की बैठक में देश भर के 500 के करीब संघ के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। इस बैठक में संघ के नए सरकार्यवाह के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। 12 सालों से सरकार्यवाह (महासचिव) की जिम्मेदारी देख रहे भैय्याजी जोशी की जगह किसी दूसरे को चुना जा सकता है और उन्हें संघ में नई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यही वजह है कि संघ की यह बैठक काफी अहम और महत्वपूर्ण मानी जा रही है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलुरु के जनसेवा विद्या केंद्र मगदी रोड चन्नैनाहल्ली में हो रही है। इस बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह भय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले, डॉ.मनमोहन वैद्य, डॉ. कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी, सीआर मुकुंद और अन्य नेता हिस्सा होंगे। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष, सह संगठन महासचिव शिवप्रकाश, वी सतीश और सौदान सिंह भी मौजूद रहेंगे।
कैसे चुने जाते हैं सरकार्यवाह
वर्तमान सरकार्यवाह नए सरकार्यवाह की चुनाव प्रकिया शुरू करने के आग्रह के बाद मंच से नीचे उतर जाएंगे। इसके बाद सबसे वरिष्ठ सह सरकार्यवाह के चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी की घोषणा करेंगे। इसके बाद चुनाव अधिकारी चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत करते हुए नए सरकार्यवाह के लिए नाम मांगेंगे। केंद्रीय प्रतिनिधियों के इस चुनाव में केंद्रीय प्रतिनिधि ही वोटर होते हैं, लेकिन कोई भी प्रचारक वोटर नहीं होता। अगर किसी को कोई नाम देना होता है तो वो 3 से 4 अनुमोदक के साथ नाम प्रस्तावित कर सकता है। लेकिन आम तौर पर सरकार्यवाह का चुनाव सर्वसम्मति से होता है। नए सरकार्यवाह का नाम चुनाव अधिकारी बताते हैं और सभी लोग उच्चारण के साथ हाथ उठाकर नए सरकार्यवाह का चुनाव सम्पन्न कराते हैं। अगले दिन सरसंघचालक और सरकार्यवाह अपनी कार्यकारणी का ऐलान करते हैं।
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