हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का महत्व अत्याधिक है। पूजा करने से घर और मन दोनों ही शांत रहते हैं। साथ ही सकारात्मकता भी बनी रहती है। हर घर में मंदिर होता है और हम सभी नियमित रूप से पूजा भी करते हैं। मान्यता है कि जब भी पूजा की जाए तो तांबे या पीतल के बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हालांकि, कई लोग इस दौरान स्टील के बर्तनों का भी इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन ऐसा कहा जाता है कि पूजा के दौरान स्टील के बर्तन इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए। यह काफी खराब माना जाता है। जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर पूजा के दौरान स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाना चाहिए।
1. पूजा के दौरान स्टील, लोहा या एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह काफी अशुभ होता है। अगर इन घातुओं से किसी देवी-देवता की प्रतिमा बनी हुई है उन मूर्तियों की भी पूजा नहीं करनी चाहिए।
2. प्राकृतिक धातु का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्टील और लोहे में जंग लग जाता है और यह मानव निर्मित धातु होते हैं। वहीं, एल्युमिनियम के बर्तन भी काले पड़ जाते हैं।
3. पूजा के दौरान प्राकृतिक धातु यानी सोने, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल ही किया जाना चाहिए। इनका उपयोग सही माना जाता है।
4. सोने, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तन जलाभिषेक कराने से ही शुद्ध हो जाते हैं। ऐसे में इनका उपयोग पूजा में उपर्युक्त है।
नोट –
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