इंदौर में पहली बार गरीबों के निवाले की लूट में शामिल माफिया के साथ नेताओं-अफसरों के गठजोड़ का फूटा भांडा
इंदौर। कोरोना काल के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण के साथ मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना का जो राशन गरीबों के लिए भिजवाया था उसे राशन माफिया ने नेताओं और अफसरों के साथ मिलकर लूट लिया, जिसका भांडा कलेक्टर मनीष सिंह ने फोड़ा और राशन माफिया के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू करवाई, जिसमें 80 लाख रुपए के राशन की हेरा-फेरी का खुलासा हुआ, जो सिर्फ एक दर्जन कंट्रोल दुकानों के माध्यम से किया गया, जबकि इस नेटवर्क में 120 से अधिक दुकानें बताई जाती है, जिसके चलते यह राशन घोटाला करोड़ों रुपए का निकलेगा। अब पुलिस राशन खरीदने वाले व्यापारियों की धरपकडऩे करने में भी जुटेगी।
यह पहला मौका है जब गरीबों का निवाला छिनने वाले राशन माफियाओं पर इस तरह की कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है। तीन राशन माफिया भरत, दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुडे के खिलाफ जहां रासुका की कार्रवाई की जा रही है, वहीं 31 लोगों के खिलाफ 5 थानों में कल रात प्रशासन ने एफआईआर भी दर्ज करवा दी, जिसमें कंट्रोल दुकानों के संचालक और उनसे जुड़े कर्ताधर्ता शामिल रहे। पुलिस ने एक स्पेशनल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी का गठन भी कर दिया है, क्योंकि अब इन राशन माफिया से जुड़े नेटवर्क की जांच-पड़ताल करते हुए उन व्यापारियों को भी पकड़ेगी, जिन्होंने कंट्रोल पर बिकने वाले राशन को इन माफियाओं से खरीदा। पहली बार राशन माफिया के साथ-साथ नेताओं और खाद्य विभाग के आला अधिकारियों के गठजोड़ का भी खुलासा हुआ और पिछले दिनों निलंबित कर अलीराजपुर अटैच किए गए प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा के खिलाफ भी कलेक्टर मनीष सिंह ने 10 थानों में एफआईआर दर्ज करवाई। लगभग एक दर्जन कंट्रोल दुकानों में ही 80 लाख रुपए का घोटाला सामने आ गया है। अब इनके नेटवर्क में शामिल 120 से अधिक दुकानें बताई जा रही है, जिनकी जांच में 20 से 25 करोड़ रुपए तक का राशन घोटाला उजागर हो सकता है। प्रमोद दहीगुडे का संबंध जहां संघ से जुड़ा बताया जा रहा है, तो भरत दवे, श्याम दवे पूर्व कांग्रेस मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के खास रहे हैं। अग्निबाण ने कल ही इस संबंध में खुलासा किया था। कल दोपहर 1 बजे कलेक्टर मनीष सिंह ने इंदौर के मीडिया को इस राशन महाघोटाले की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि 51 हजार से अधिक गरीब उपभोक्ताओं के हक का राशन माफियाओं ने हड़प लिया। गेहूं, शकर, नमक से लेकर केरोसीन तक गरीबों का हड़पकर बाजार में बेच दिया। मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा, अंत्योदय अन्न योजना के अलावा केन्द्र सरकार ने भी कोरोना महामारी के चलते इंदौर सहित देशभर में गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत राशन भिजवाया था। दो दर्जन से अधिक श्रेणी के पात्र हितग्राहियों को पात्रता पर्ची से कंट्रोल दुकानों से यह राशन मिलता था। इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड भरत दवे निकला है, जिसके खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई की और इसी का कजीन श्याम दवे प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष है। वहीं प्रमोद दहीगुड़े भी तीन कंट्रोल दुकानों का संचालन करता था और इन सभी की सीधी मिलीभगत खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा से रही। कुछ समय पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने जब महू में एक राश्र माफिया मोहन अग्रवाल को पकड़ा था, तब जिले की सभी कंट्रोल दुकानों की जांच करने के निर्देश दिए, लेकिन मीणा ने अपने निरीक्षकों को जांच से रोका और उन्हें धमकी भी दी। जब इसकी जानकारी कलेक्टर को लगी, तो उन्होंने मीणा के खिलाफ कार्रवाई की और संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने उन्हें निलंबित करते हुए अलीराजपुर अटैच कर दिया था। अब मीणा के खिलाफ धारा 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज करवा दिए।
बड़े लंबे समय से लूट रहे थे गरीबों का अनाज …अब पूरे प्रदेश में धरपकड़ होगी आसान : मनीषसिंह
आश्चर्य होता है कि माफियाओं के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि वे गरीबों का अनाज भी लूटकर खा जाते हैं। कलेक्टर मनीषसिंह ने कहा कि सरकार गरीब और कम आय वर्ग के लोगों के लिए सस्ते राशन की योजना बनाती है, ताकि कोई व्यक्ति भूखा न सोए। लेकिन सरकारी तंत्र के साथ मिलकर माफिया गरीब लोगों के अनाज तक पर डाका डाल रहे हैं। पहले कागजी लिखापढ़ी के चलते इन माफियाओं की धरपकड़ मुश्किल होती थी, लेकिन अब सारा काम कम्प्यूटरीकृत हो जाने के बाद ऐसे डकैत बच नहीं पाएंगे, उन्होंने कहा कि इंदौर शहर में अनाज माफियाओं की धरपकड़ के बाद अब पूरे प्रदेश में ऐसे डकैतों की धरपकड़ आसान होगी। यदि सरकारी योजना का लाभ आम आदमी को मिल सके और उन्हें उनके हक का अनाज मिलने लगे तो कोई व्यक्ति प्रदेश में भूखा नहीं सोएगा। उन्होंने कहा कि हम अनाज माफियाओं की आखरी कड़ी तक पहुंचकर हर अपराधी को सजा दिलवाएंगे।
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