नई दिल्ली । आज हम आपको एक ऐसी हर्बल खाद के बारे में बता हैं जिसके इस्तेमाल से उपज तो डबल होती ही है साथ में इनकम भी दोगुनी होती है. इस हर्बल खाद की मदद से पशुओं के लिए उत्तम चारा उगाया जा सकता है. जिसके खाने से पशुओं की कई समस्या दूर हो जाती है इसके साथ ही दूध का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है. इस हर्बल खाद के एक नहीं अनेक फायदे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इस हर्बल खाद का नाम है अजोला. खेती में अजोला के प्रयोग से कई लाभ मिलते हैं. फसल में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है. खेतों में कम समय में जैविक पदार्थ का कम समय में अधिक उत्पादन होता है. अजोला फसलों में जिंक, मैगनीज, लोहा, फॉस्फोरस, पोटाश की मात्रा को बढ़ाता है.
सबसे पहले जानते हैं आखिर क्या है अजोला
दरअसल, अजोला एक जलीय पौधा है जिसे धान की खेती में खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह पौधा अक्सर तालाबों में तैरता हुआ दिखाई देगा जो एक तरह की फर्न है. यह धान के खेतों में भी पाया जाता है. अगर अजोला को धान की खेती में उपयोग किया जाए तो उपज की मात्रा बढ़ सकती है. इसे धान के खेत में जैव खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. खेतों में उर्वरक इसलिए ही डाले जाते हैं ताकि उससे नाइट्रोजन की मात्रा बढ़े. नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से अच्छी पैदावार मिलती है.
5 दिन में हो जाता है दोगुना
एजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकूल वातावरण में 5 दिनों में ही दो-गुना हो जाता है. यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाये तो 300 टन से भी अधिक सेन्द्रीय पदार्थ प्रति हेक्टेयर पैदा किया जा सकता है, यानी 40 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो सकता है. अजोला में 3.5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं.
इन जगहों पर होता है अजोला का उपयोग
अजोला का उपयोग पशुओं, मुर्गी, और मछली पालन में चारे के रूप में किया जा सकता है. खेती में अजोला का इस्तेमाल खाद के रूप में करने के लिए पहले बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करना होगा.
इस तरह कर सकते हैं उत्पादन
अजोला उगाने के लिए किसान छोटे आकार का तालाब या क्यारी बना कर भी इसे उगा सकते हैं. और भी बड़े स्तर पर उत्पादन करना हो तो सीमेंट का टैंक बनाकर या पॉलीथीन से ढका हुआ गड्ढा बनाकर पानी में इसका उत्पादन किया जा सकता है. यहां तक कि चिकनी मिट्टी या सीमेंट के गमले में भी इसे उगाया जा सकता है.
इस तापमान पर होता है उत्पादन
पानी के पोखरे या लोहे के ट्रे में अजोला कल्चर बनाया जा सकता है. कल्चर डालने के बाद दूसरे दिन से ही एक ट्रे या पोखरे में अजोला की मोटी तह जमना शुरू हो जाती है जो नत्रजन स्थिरीकरण का कार्य करती है. धान के खेतों में इसका उपयोग सुगमता से किया जा सकता है. इसकी वृद्धि के लिये 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापक्रम अत्यंत अनुकूल होता है.
किसानों को होगा डबल फायदा
अजोला के उपयोग से किसानों डबल मुनाफा होता है. दुधारू पशुओं के आहार में महंगी सरसों व मूंगफली की खली की पूर्ति अब अजोला (हरा चारा) करेगा. इस हरे चारे से पशुओं में 15 से 20 फीसदी दूध बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि इसमें 25 से 35 फीसदी तक प्रोटीन की मात्रा मिलती है.
पशुओं के चारे के लिए ऐसे बनाएं अजोला
सीमेंट के टैंक में 40 किलोग्राम खेत की साफ छनी भुरभुरी मिट्टी डालें. 20 लीटर पानी में दो दिन पुराना गोबर चार से पांच किग्रा लेकर घोल बनाएं. इसे अजोला के बेड पर डाल दें. टैंक में सात से दस सेमी पानी भर कर एक से डेढ़ किलोग्राम ‘मदर एजोला’ कल्चर डाल दें. अजोला धीरे-धीरे बढ़ता है. 12 दिन बाद एक किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्लास्टिक की छन्नी से निकालें. इसे साफ कर पशुओं को खिलाएं.
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