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    अगले सत्र में शुरू होगा खगोल विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम : परमार

  • January 15, 2021

    उज्जैन । शहर के महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान एवं स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन में शुक्रवार को प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदरसिंह परमार के मुख्य आतिथ्य में नक्षत्र वाटिका का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने की। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, विवेक जोशी आदि उपस्थित थे। स्कूल शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर वेधशाला में शैक्षणिक गतिविधियों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने की मांग पर अगले शैक्षणिक सत्र में खगोल विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने की घोषणा की।



    स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि प्रारम्भ से भारत देश विश्वगुरू था। देश में रामराज की परिकल्पना थी कि सबको समान अधिकार मिले। राष्ट्र के पुनर्निर्माण में आमूलचूल परिवर्तन करने की थी। इस कड़ी में भारत सरकार के द्वारा शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति अधिनियम लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति के कारण कई क्षेत्रों में लाभ आने वाले समय में होंगे। खगोलीय घटनाओं की जानकारी नई पीढ़ी को दी जाना चाहिये।

    हर इंसान को होना चाहिए खगोलीय ज्ञान : डॉ. यादव
    कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हर इंसान को खगोलीय ज्ञान होना चाहिये। किसी भी देश की उन्नति में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने खगोलीय जानकारी उदाहरण सहित प्रस्तुत की। डॉ. यादव ने कहा कि जीवाजी वेधशाला में धूपघड़ी के साथ-साथ मध्यकालीन यंत्र के माध्यम से समय का ज्ञान मिलता है। वेधशाला में समय के साथ-साथ डोंगला से भी समय का मिलान किया जाना चाहिये। डोंगला को आईआईटी से जोड़ा गया है। इसी के साथ-साथ उज्जैन को साइंस, गणित आदि से जोडक़र उज्जैन में साइंस का सब-सेन्टर बनाया जायेगा। उज्जैन को विज्ञान की नगरी बनाई जा रही है।

    सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि उज्जयिनी का उल्लेख पुराणों में मिलता है। जीवाजी वेधशाला में जिस प्रकार जयपुर के महाराज सवाई राजा जयसिंह द्वितीय की मूर्ति की स्थापना की गई है, उसी तरह वराहमिहिर की मूर्ति भी लगाई जाना चाहिये। उज्जैन में जिस तरह से विकास कार्य हो रहे हैं, इससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने स्कूल शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि स्थानीय शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया जाये कि शासकीय जीवाजी वेधशाला, तारा मण्डल, डोंगला का बच्चों को भ्रमण समय-समय पर कराया जाये, जिससे बच्चों को ज्ञान प्राप्त हो सके। इसी तरह जीवाजी वेधशाला के समीप शिप्रा नदी पर बहुत सुन्दर घाट बना है। यहां पर बोट चलाई जाना चाहिये।

    विधायक पारस जैन ने कहा कि वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराज सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने निर्माण कराया था। इनकी मूर्ति वेधशाला में नहीं थी, अब उनकी मूर्ति जयपुर से बनवा कर वेधशाला में लगवाई गई है, वह अतिप्रशंसनीय है। उन्होंने वेधशाला में नक्षत्र वाटिका के बनाये जाने पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए वेधशाला के कर्मचारियों, शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को हार्दिक बधाई दी। महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान के उपनिदेशक प्रशांत डोलस ने स्वागत उद्बोधन देते हुए वेधशाला एवं नक्षत्र वाटिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

    जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने नक्षत्र वाटिका की जानकारी देते हुए बताया कि सूर्य एवं ग्रहों के तुलनात्मक आकार, उनके परिभ्रमण, राशियों एवं नक्षत्रों की स्थिति, राशियों तथा नक्षत्रों में सम्बन्ध, तारा समूह की स्थिति, विश्व मानक समय आदि की जानकारी हेतु नक्षत्र वाटिका की कल्पना की है। नक्षत्र वाटिका के मध्य में सूर्य तथा आठ ग्रहों के मॉडल बनाये गये हैं। इनकी सूर्य से दूरी का क्रम, तुलनात्मक आकार, मूल रंग तथा परिभ्रमण को दर्शाया गया है। प्रथम वृत्ताकार पथ में 30-30 अंश के आधार पर 12 राशियों, उनके तारा समूह व आकार को दर्शाया गया है। प्रत्येक राशि से सम्बन्धित वनस्पति को लगाया गया है। द्वितीय वृत्ताकार पथ में 13 डिग्री 20 के आधार पर 27 नक्षत्रों को दर्शाया गया है। चार रंग के ग्रेनाइट के द्वारा प्रत्येक नक्षत्र को 3 डिग्री 20 के चारों चरणों को दर्शाया गया है। नक्षत्र वाटिका के वृत्ताकार पथ में राशियों व नक्षत्रों का समन्वय इस प्रकार से किया गया है कि आप प्रत्येक राशि से सम्बन्धित नक्षत्रों तथा उसके चरणों का सम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं।

    डॉ.गुप्त ने बताया कि प्रत्येक नक्षत्र के तारा समूह, उसके आकार तथा उसकी वनस्पति को भी लगाया गया है। वृत्ताकार पथों पर निम्न, मध्यम व उच्चदाब एक्यूप्रेशर पथ बनाये गये हैं। राशियों, नक्षत्रों व प्रमुख तारा समूह की आकाशीय स्थिति की समझ के लिये स्टार ग्लोब बनाया गया है। स्टार ग्लोब में विषुवत रेखा, क्रान्तिव्रत, उत्तरी व दक्षिणी गोलाद्र्ध के प्रमुख तारा समूहों को प्रदर्शित किया गया है। विश्व मानक समय की समझ के लिये वल्र्डक्लॉक को लगाया गया है। वल्र्डक्लॉक के द्वारा हम विश्व के किसी मानक देशांतर के समय को ग्रीनविच के माध्य समय या भारतीय मानक समय आदि के सन्दर्भ में समझ सकते हैं। इस प्रकार नक्षत्र वाटिका आकाशीय स्थिति की समझ के लिये महत्वपूर्ण सटिक जानकारी के रूप में पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र रहेगी।

    अतिथियों ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में नक्षत्र वाटिका का विधिवत शुभारम्भ किया और नक्षत्र वाटिका का निरीक्षण कर प्रशंसा व्यक्त की। तत्पश्चात अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीपदीपन कर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके बाद सरस्वती वन्दना, मप्र गान प्रस्तुत किया गया।

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