शनिदेव ढाई वर्ष के अंतराल में दूसरी राशि में जाते हैं… इस बार नक्षत्र परिवर्तन करेंगे
इंदौर। इस वर्ष शनि का राशि परिवर्तन नहीं बल्कि नक्षत्रों का परिवर्तन होगा। ज्योतिषियों का कहना है कि नक्षत्र परिवर्तन का भी सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव रहेगा लेकिन इसके साथ ही शनिदेव की आराधना का भी विधान ज्योतिषियों ने बताया है।
ज्योतिष में शनि का राशि परिवर्तन, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा का विशेष महत्व माना जाता है। शनि न्यायाधिपति हैं। ये व्यक्ति को अच्छे कर्म करने पर शुभ फल जबकि बुरे कर्म करने वाले जातकों को दंडित करते हैं। शनि देव हर ढाई साल के अंतराल पर एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं। ऐसे में साल 2021 में शनिदेव का कोई भी राशि परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि शनिदेव वर्ष 2020 से अगले ढाई वर्षों के लिए धनु राशि को छोडक़र मकर राशि में मौजूद हैं। जहां पर ये साल 2022 तक रहेंगे। शनिदेव पूरे साल 2021 में स्वराशि यानी मकर राशि में गोचर करते रहेंगे। वर्ष 2021 में शनिदेव राशि परिवर्तन की जगह नक्षत्र परिवर्तन करेंगे। इसका यह अर्थ है कि शनि पूरे वर्ष नक्षत्र के आधार पर जातकों पर अपना प्रभाव छोड़ेंगे। साल 2021 के आरंभ में जहां शनि, सूर्य देव के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा में रहेंगे, वहीं 22 जनवरी को श्रावण नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। श्रावण नक्षत्र पर चंद्रदेव का आधिपत्य होता है।
शनि की साढ़ेसाती भी रहती है
शनि करीब 30 महीनों में अपनी राशि बदलते हैं। जब भी शनि का गोचर एक राशि से दूसरी राशि में होता है, तब कुछ राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या सवार हो जाती है और कुछ से खत्म हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं। उस अवधि को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि जिस राशि में गोचर करते हैं तो राशि क्रम के हिसाब से उस राशि के आगे और पीछे वाली राशि पर भी अपना प्रभाव डालते हैं। इस तरह से शनि एक राशि पर साढ़े सात साल तक रहते हैं। इस साढ़े सात साल के समय को ही शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। फिर जैसे-जैसे शनि दूसरी राशि में आगे बढ़ता है साढ़ेसाती उतरती जाती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved