पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुशील कुमार मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन की खालिस्तानी फंडिंग और पीएम नरेंद्र मोदी को धमकी पर राहुल गांधी चुप क्यों रहे। सुप्रीम कोर्ट की पहल ठुकरा कर किसान नेताओं ने बदनीयती जाहिर कर दी है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार करने के लिए लागू तीन नये कृषि कानून को वापस लेने पर अड़े किसान संगठनों ने इन कानूनों पर अंतरिम रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अदालत की पहल से बनी विशेषज्ञों की समिति पर भरोसा करने और उसके समक्ष अपना पक्ष रखने से इनकार कर साबित कर दिया कि वे दरअसल समाधान नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजनीतिक बैर निकालने वाली देशी-विदेशी ताकतों का हथियार बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसान आंदोलन को कनाडा के प्रधानमंत्री का समर्थन और वहां से संचालित खालिस्तानी संगठन की फंडिंग का असर था कि इस आंदोलन के नेता 26 ,जनवरी की ट्रैक्टर रैली तक को स्थगित करने को राजी नहीं हुए।
सांसद मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए कनाडाई मूल का खालिस्तानी संगठन हर व्यक्ति को 10 हजार रुपये दे रहा है, इसलिए इसमें देश विरोधी नारे लगे और प्रधानमंत्री मोदी की हत्या करने की धमकी देने तक का दुस्साहस किया गया। केंद्र सरकार तो इस पहलू को सामने लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करेगी, लेकिन राहुल गांधी ने चुप्पी क्यों साथ ली। राहुल क्यों भूल जाना चाहते हैं कि उनकी दादी इंदिरा गांधी को खालिस्तानी उग्रवाद के चलते बलिदान देना पड़ा था। वास्तविक अन्नदाता आज भी खेतों में हैं, जबकि दिल्ली में किसान के नाम पर भारत विरोधी जमावड़ा चल रहा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस, राजद और वामदलों ने किसान आंदोलन का अंध-समर्थन किया और जब समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहल की, तब उसका समर्थन नहीं कर अपनी सामूहिक बदनीयती जाहिर कर दी कि वे देश की न्याय प्रक्रिया का रत्ती भर सम्मान नहीं करते, बल्कि राजनीतिक मकसद से न्यायपालिका का इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसान कानून मुद्दे पर सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे सहित सभी चारों सरकार विरोधी वकीलों का गायब होना न्यायालय की अवमानना माना जाना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों ने ऐसे वकील चुने, जिनमें कश्मीर की आजादी के समर्थक प्रशांत भूषण भी हैं और जिन्हें स्वयं मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोहबे न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहरा चुके हैं। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved