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    सीसीएस ने तेजस एमके-1ए की खरीद पर लगाई मुहर, स्वदेशी रक्षा उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा सौदा

  • January 14, 2021

    नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे को मंजूरी दे दी​है। यह स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा सौदा हो​​गा। चीन और पाकिस्तान से टकराव की संभावना के मद्देनजर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना के लिए एचएएल से यह डील अगले माह एयरो इंडिया-2021 के दौरान पूरी होगी।

    रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 स्‍वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के एमके-1ए वर्जन की खरीद के लिए मार्च में मंजूरी दी थी। ​​रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एवं विमान विकास एजेंसी ने 2015 में उन्नत तेजस ​​एमके-1ए के लिए वायुसेना के सामने प्रस्ताव रखा था। ​हालांकि, शुरुआत में एचएएल ने एक एमके-1ए विमान की कीमत 463 करोड़ तय की थी जिसे वायुसेना ने बहुत अधिक माना। कई महीनों की बातचीत के बाद एचएएल ने 83 एमके-1ए और 10 एमके-1 ट्रेनर जेट की एक यूनिट का मूल्य कम करने पर सहमति जताई। ​प्रधानमंत्री नरेन्द्र की अगुवाई वाली ​सीसीएस ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ 83 तेजस ​एमके-1ए के लिए 48​ हजार करोड़ के सौदे को मंजूरी दे दी है।​ ​तेजस डील से​ करीब 500 भारतीय कंपनियों को ​फायदा होगा ​जो विमान के अलग-अलग पुर्जे देश में ही बनाएंगी।​ ​​

    इस खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा, क्‍योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत विमान विकास एजेंसी (एडीए) ने इसका स्‍वदेशी डिजाइन तैयार किया है। ​इसका निर्माण ​हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अतिरिक्‍त कई अन्‍य स्‍थानीय निर्माताओं के सहयोग से किया गया है।​ ​तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एविओनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है।​ ​​हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने तेजस एमके-1ए का सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार कर लिया है। इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी।

    एचएएल के सीएमडी ने कहा है कि तेजस एमके-1 ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। एचएएल ने एक बयान में बताया कि निजी क्षेत्र की कंपनी डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज ने एलसीए के पहले फ्रंट का फाइनल ऑपरेशन क्लीयरेंस (एफओसी) कॉन्फ़िगरेशन पूरा कर लिया है।​​भविष्य में यह भारतीय वायुसेना का रीढ़ साबित होगा।​ ​वायुसेना से तेजस एमके-1ए के 83 विमानों का सौदा पहले दिसम्बर के अंत तक होने की उम्मीद थी लेकिन सीसीएस की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। आज सीसीएस की मुहर लगने के बाद अब एचएएल के साथ एयरो इंडिया-2021 के दौरान अनुबंध होगा।
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    भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है। यानी वायुसेना के पास फिलहाल 144 लड़ाकू विमानों की कमी है। नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा किया जाना है। एलसीए एमके-1 के 40 विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल किये जाने की प्रारंभिक और अंतिम परिचालन मंजूरी मिल चुकी है जिनका ऑर्डर पहले ही एचएएल को दिया जा चुका है दे रखा है। इनमें से 18 विमान मिल चुके हैं और वायुसेना की सेवा में हैं।

    इन 40 विमानों में एलसीए एमके-1ए के मुकाबले 43 तरह के सुधार किये जाने हैं। इनमें हवा से हवा में ईंधन भरने, लंबी दूरी की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल लगाने, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने के लिए सिस्टम लगाया जाना है। इन 123 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के बाद वायुसेना 170 तेजस मार्क-2 या मध्यम वजन के फाइटर जेट्स को और अधिक शक्तिशाली इंजन और उन्नत एवियोनिक्स के साथ अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है। तेजस एमके-1 और तेजस एमके-1ए की 6 स्क्वाड्रन बनाई जानी हैं। भारतीय वायुसेना ने तेजस के लिए दो स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई हैं। तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की पहली स्क्वाड्रन गुजरात के नलिया और राजस्थान के फलौदी एयरबेस में बनेगीं। ये दोनों सीमाएं पाकिस्तान सीमा के करीब हैं। ​

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंजूरी मिलने के बाद कहा कि यह सौदा भारतीय रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए एक गेम चेंजर होगा। एलसीए तेजस आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है। एलसीए तेजस में बड़ी संख्या में नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जिनमें से कई का प्रयास भारत में कभी नहीं हुआ। एलसीए तेजस की स्वदेशी सामग्री एमके-1ए संस्करण में 50% है जिसे 60% तक बढ़ाया जाएगा। एचएएल ने पहले ही अपने नासिक और बेंगलुरु डिवीजनों में दूसरी पंक्ति की विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं। संवर्धित बुनियादी ढांचे से लैस एचएएल एलसीए-एमके-1ए विमान भारतीय वायुसेना को समय पर वितरित किये जाएंगे। यह प्रोजेक्ट भारतीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को एक जीवंत आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।

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