इंदौर । मो.रफी और कपूर दोनों ने साथ में सिर्फ एक गाना गाया बल्कि फिल्म आदमी में इस गाने के बोल कैसी हसीन आज बहारों की रात है मो. रफी महेंद्र कपूर को छोटा भाई मानते थे रफी का बनाया गैर फिल्मी गाना इलाही कोई तमन्ना नहीं गाकर कपूर ने मरफी रेडियो की संगीत प्रतियोगिता जीती थी और फिल्मों में आए थे। कपूर अक्सर रफी के कार्यक्रमों में तानपुरा बजाते थे और दोनों ने तय किया था कि वे साथ में कोई गाना नहीं गाएंगे ताकि दोनों के बीच बेवजह की तुलना न हो महेंद्र कपूर भी नहीं चाहते थे कि जिस रफी को वह गुरु मानते हैं उनके साथ कोई द्वंद्व गीत कभी गाना पड़े।
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों… इस गाने को सुनते ही बॉलीवुड के सुनहरे युग के गायक महेंद्र कपूर की यादों से आंखें भर जाती हैं। आज 9 जनवरी 1934 को अमृतसर में महेंद्र कपूर का जन्म हुआ था। अमृतसर में पले-बढ़े महेंद्र कपूर जल्द ही मुंबई आ गए। वह कम उम्र से ही संगीत के दीवाने थे और मोहम्मद रफी को अपना आदर्श मानते थे सी. रामचंद्र के निर्देशन में बनी फिल्म नवरंग में गाना गाने का मौका मिला उनका गाया गाना आधा है चंद्रमा रात आधी…सुपरहिट हुआ। महेंद्र कपूर के साथ मनोज कुमार की जोड़ी हिट रही।
अनेक पुरस्कार, अवार्ड प्राप्त किए
महेंद्र कपूर को पद्मश्री समेत अनेक सम्मानों से सम्मानित किया गया। 1963 में फिल्म फेयर पुरस्कार पुरुष पाश्र्व गायन के लिए फिल्म गुमराह से मिला। वर्ष 1967 का फिल्म फेयर पुरस्कार नीले गगन के तले गीत से मिला। वहीं 1974 में भी फिल्म फेयर पुरस्कार रोटी कपड़ा और मकान फिल्म में गायन के लिए मिला।
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