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    100 करोड़ की सरकारी जमीन हो गई निजी

  • January 05, 2021


    पीपल्याकुमार में प्रशासन ने पकड़ा फर्जीवाड़ा, डिक्री के खिलाफ कोर्ट में अपील भी लम्बित
    इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कल भी आला अफसरों को भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि इंदौर प्रशासन लगातार इस मामले में कार्रवाई कर रहा है। अभी ग्राम पिपल्याकुमार में ऐसा ही एक जमीन का फर्जीवाड़ा सामने आया, जिसमें डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट से अधिक सरकारी रास्ते की जमीन निजी व्यक्ति के साथ गृह निर्माण संस्था के नाम हो गई। सर्वे क्र. 155 में शामिल 3.70 एकड़ जमीन की जांच कलेक्टर ने शुरू करवाई, जिसमें यह भी खुलासा हुआ कि 1996 में कोर्ट से कुछ जमीनों की डिक्री भी जारी की गई, जिसके खिलाफ अपील दायर की गई, जो वर्तमान में विचाराधीन है। इस जमीन की कीमत आज 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की है, क्योंकि उक्त जमीन बॉम्बे हॉस्पिटल के सामने महालक्ष्मी नगर के पास स्थित है।
    सभी तरह के माफियाओं के खिलाफ निरंतर इंदौर में अभियान चल रहा है। ड्रग माफिया, गुंडों के अलावा मिलावटखोरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। वहीं अब प्रशासन गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़ों के साथ ही सरकारी जमीनों को भी जमीनी जादूगरों के चंगुल से छुड़वाने में जुटा है। पिछले दिनों ट्रस्ट से लेकर होटल लेंटर्न, मालवा वनस्पति सहित अन्य मामलों में कलेक्टर मनीष सिंह ने सख्ती दिखाते हुए जांच शुरू करवाई और नगर निगम से लेकर नगर तथा ग्राम निवेश ने भी अभिन्यास निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अब इसी कड़ी में पीपल्याकुमार के सर्वे नं. 155 की जमीन पर हुए घोटाले का खुलासा हुआ है। इसकी जांच भी कलेक्टर ने शुरू करवाई। यह जमीन 6 भागों में बांट दी गई। सर्वे क्र. 155/1/2, 155/1/3, 155/1/4, 155/1/5, 155/2,155/3 व अन्य जमीनेें नागेन्द्रसिंह ठाकुर के नाम दर्ज हो गई, जिसकी कुछ समय पूर्व मृत्यु भी हो गई है, जिसका नामांतरण भी न्यायालय तहसीलदार इंदौर ने प्रकरण क्रमांक 144/9-10 में मंजूर किया, जबकि इसी खसरा नं. 155 की 1.316 हैक्टेयर 155/1/1 सर्वे नंबर की जमीन बसंत विहार गृह निर्माण संस्था के नाम दर्ज हो गई। अभी शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार सुदीप मीणा ने इस जमीन की जांच करवाई और राजस्व निरीक्षक की मौका रिपोर्ट से जो जांच प्रतिवेदन बना, उससे पता चला कि हरकराज कुंवरबाई उर्फ हरकवजराजबाई विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन में हुए निर्णय के खसरा क्र. 155/1/1 की 4 एकड़ जमीन पर वादिनी को भू-स्वामी घोषित कर डिक्री जारी की गई थी। इस डिक्री के आधार पर नागेन्द्र सिंह ने 3,25 एकड़ जमीन का नामांतरण करवाया और इसी तरह बची जमीन का नामांतरण भी वर्ष 2010 में हो गया। न्यायालय द्वारा जारी डिग्री दिनांक 03.12.1996 को अपास्क करने के लिए कलेक्टर इंदौर की ओर से एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज के समक्ष 2013 में अपील पेश की गई, जो वर्तमान में विचाराधीन है। मौक पर कुछ जमीन पर वसंत विहार कालोनी का रोड एवं शेष भूमि पर मकान बने हैं। वहीं अन्य खाली जमीन को तार फेंसिंग कर कवर कर रखा है। अब सरकारी रास्ते के नाम मिसल बंदोबस्त में दर्ज रही इस जमीन को पुन: सरकारी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। राजस्व रिकॉर्ड में भी संशोधन किया जा रहा है, ताकि जमीन की अन्य खरीदी-बिक्री को रोका जा सके। वहीं कोर्ट से डिक्री अपास्क करवाने के प्रयास भी प्रशासन द्वारा किए जाएंगे। वर्तमान में यह जमीन अत्यंत बेशकीमती है, जिस पर भूखंडों की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा है।

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