इस्लामाबाद । पाकिस्तान (Pakistan) में 2020 में आतंकवाद की जड़ें और मजबूत हुईं हैं। यहां पाकिस्तानी तालिबान और उसके दलों ने अपने वजूद को बढ़ाया है। सरकार का नेशनल प्लान भी इनकी ताकत को कम नहीं कर सका। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडी ने अपनी रिपोर्ट में पिछले साल का यह निष्कर्ष निकाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में विभिन्न आतंकी संगठनों, कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान में 146 आतंकी हमले किए। इनमें तीन आत्मघाती विस्फोट भी किये गए। बीते साल में पाकिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के लगातार हमले जारी रहे। इस संगठन ने पाकिस्तान में 67 आतंकी हमले किए हैं। यह आतंकी हिंसा का लगभग 46 फीसद है।
टीटीपी ने ताकत बढ़ाते हुए अन्य आतंकी संगठनों को भी अपनी गतिविधियों में शामिल किया है। इसमें धर्म के नाम पर आतंक फैलाने वाले संगठन भी शामिल हैं। इन्हीं संगठनों ने क्वेटा और पेशावर में दो शक्तिशाली आतंकी हमले किए थे। पाकिस्तान के आतंकवादियों के खिलाफ नेशनल प्लान को आंशिक सफलता ही हासिल हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यही कारण है कि पाकिस्तान फाइनेंसियल टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से अपने को बाहर नहीं निकाल सका। 2018 से पाक इस सूची में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कट्टरपंथी अल्लामा खादिम रिजवी की अंत्येष्टि के बाद जिस तरह से अल्पसंख्यकों पर हमले हुए और पूजा स्थलों को क्षतिग्रस्त किया गया, उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब हुई।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सबसे ज्यादा 79 आतंकवादी हमले हुए। बलूचिस्तान में 95 लोग आतंकियों के हाथों मारे गए। यहां पर 32 आतंकी हमले हुए। सिंध प्रांत में 18 हमले किए गए। अकेले कराची में 15 आतंकी वारदातें हुईं। यही कारण है कि अक्टूबर में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में नाम जारी रखने का फैसला किया। इस एजेंसी ने पाकिस्तान में कानून व्यवस्था देखने और जांच करने वाली एजेंसियों की टेरर फंडिंग में ढिलाई पर भी सवाल उठाए।
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