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विराट कीर्तिमान स्थापित करते विराट कोहली

January 04, 2021

– योगेश कुमार गोयल

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की हाल ही में जारी टेस्ट बल्लेबाजों की रैंकिंग में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने अपना दूसरा स्थान बरकरार रखा है। पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा दशक का सर्वश्रेष्ठ पुरुष क्रिकेटर चुना गया। उन्हें दशक के सर्वश्रेष्ठ पुरुष क्रिकेटर के लिए सर गारफील्ड सोबर्स पुरस्कार से नवाजा गया है। दशक के सर्वश्रेष्ठ वनडे क्रिकेटर की दौड़ में विराट कोहली के अलावा श्रीलंका के लसिथ मलिंगा और कुमार संगाकारा, आस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क, दक्षिण अफ्रीका के एबी डीविलियर्स, रोहित शर्मा तथा महेन्द्र सिंह धोनी शामिल थे।

दशक के आईसीसी पुरस्कारों में पिछले 10 वर्षों के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों को चुना गया, जिसमें पहली बार प्रशंसकों को भी मत देने का अधिकार दिया गया था। विराट कोहली चार पुरस्कारों की दौड़ में शामिल थे, जिनमें आईसीसी का दशक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के अलावा दशक का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट, वनडे और टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर शामिल थे। विराट कोहली को जहां दशक का सर्वश्रेष्ठ पुरुष क्रिकेटर के अलावा दशक का सर्वश्रेष्ठ वन-डे पुरुष क्रिकेटर भी चुना गया, वहीं आस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज स्टीव स्मिथ को दशक का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट और अफगानी स्पिनर राशिद खान को सर्वश्रेष्ठ टी-20 खिलाड़ी चुना गया। आईसीसी द्वारा दशक की टेस्ट, वनडे और टी-20 की जिन टीमों का चयन किया गया, स्टार बल्लेबाज कोहली इन तीनों फार्मेट में शामिल होने वाले एकमात्र क्रिकेटर रहे। विराट को दशक की टेस्ट टीम का कप्तान भी बनाया गया।

पिछले 10 वर्षों में विराट कोहली ने 20 हजार से भी ज्यादा रन बनाए हैं और इस दौरान 66 अंतर्राष्ट्रीय शतक तथा 94 अर्धशतक भी जड़े हैं। 70 से अधिक पारी खेलते हुए उनका सर्वाधिक औसत 56.97 का रिकॉर्ड भी रहा। वन-डे में उन्होंने एक दशक में 39 शतक और 48 अर्धशतक जड़े तथा 112 कैच लपके। 10 वर्षों की अवधि में उन्होंने टेस्ट, टी-20 तथा वनडे में 56.97 के औसत से कुल 20396 रन बनाए और इस दशक में वनडे में 10 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी भी बने, जो उन्होंने 61.83 के औसत से बनाए। वनडे मैचों में कोहली ने 12040 रन, टेस्ट क्रिकेट में 7318 रन और टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में इन दस वर्षों में 2928 रन बनाए और सभी प्रारूपों में मिलाकर उनका औसत 50 से अधिक का रहा।

विराट ने अपने कैरियर का पहला रन धोनी की कप्तानी में बनाया और अपना दस हजारवां रन भी उन्होंने धोनी की मौजूदगी में बनाया था। जब विराट के कैरियर की शुरूआत हुई थी, उस समय क्रिकेट में धोनी और सहवाग की तूती बोलती थी लेकिन विराट ने कुछ ही समय में अपने प्रदर्शन से हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि एकदिन यही विराट अपने नाम के अनुरूप क्रिकेट में विराट कीर्तिमान स्थापित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का इतना बड़ा सितारा बन जाएगा। अंडर-19 क्रिकेट टीम हो या सीनियर टीम, विराट ने हर जगह अपने बल्ले से ऐसे जलवे दिखाए हैं कि खेलप्रेमी उनके दीवाने हो गए। कहना गलत नहीं होगा कि अपने जोश, जुनून, तेज गति से रन बनाने की भूख और कड़ी मेहनत के बलबूते पर विराट आज जिस पायदान पर खड़े हैं, वहां विराट ने तमाम भारतीय खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया है।

एक ओर जहां सचिन ने विराट की निरंतरता और जुनून के साथ उनकी बल्लेबाजी को बेमिसाल बताया है, वहीं वीरेन्द्र सहवाग का कहना है कि विराट ने निरंतरता को नए आयाम दिए हैं और यह ‘सॉफ्टवेयर’ हर वक्त अपडेट होता रहा है। ऑस्ट्रेलिया के विख्यात क्रिकेटर टॉम मूडी का तो यहां तक कहना है कि विराट इस शिखर पर अकेले हैं, जहां न पहले कोई था और न बाद में कोई होगा। बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज तमीम इकबाल तो विराट की तारीफ करते हुए यह तक कह गए कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली इंसान नहीं हैं क्योंकि जैसे ही वह बल्लेबाजी के लिए उतरते हैं तो ऐसा लगता है कि वह हर मैच में शतक बनाएंगे। तमीम कहते हैं कि विराट जिस तरह अपने खेल पर कार्य करते हैं, वह अविश्वसनीय है। वह कहते हैं कि पिछले 12-13 वर्षों में उन्होंने सभी महान खिलाड़ियों को खेलते देखा है किन्तु ऐसा व्यक्ति नहीं देखा, जिसने विराट जैसा दबदबा बनाया हो।

5 नवम्बर 1988 को दिल्ली में जन्मे विराट का जीवन इतना आसान नहीं रहा। जिस दिन वह दिल्ली की ओर से कर्नाटक के खिलाफ रणजी मैच खेल रहे थे, उस दिन उनके पिता का देहांत हो गया था। दुखों का इतना बड़ा पहाड़ टूटने पर भी विराट ने टूटने के बजाय न केवल वह मैच पूरा किया बल्कि वह मैच अपने पिता के नाम समर्पित कर दिया था। 2008 में विराट ने एकदिवसीय मैचों में पदार्पण किया था और 2011 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा। 2011 में ही वो विश्वकप की विजेता टीम का हिस्सा भी बने और उसी दौरान अपने पदार्पण मैच में शतक जड़कर विराट ने दिखा दिया था कि उनके हौसले कितने बुलंद हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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