भोपाल। प्रदेश में अब बिजली चोरी के केस अब पुलिस थाने में नहीं चलेंंगे, बल्कि बिजली कंपनियां ऐसे प्रकरणों को बिजली थानों में दर्ज कराएंगी। बिजली कंपनियों के पास खुद की पुलिस होगी। इसके लिए हर जिले में अलग से थाने खोले जाएंगे। शासन ने तीनों कंपनियों से क्षेत्रों में इन थानों की स्थापना के संबंध में परीक्षण कर थाने के लिए उपयोग होने वाली जमीन का आंकलन करने के लिए कह दिया है। मध्यप्रदेश शासन ऊर्जा विभाग ने इस संबंध में तीनों कंपनियों मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र की विद्युत कंपनी को पत्र लिखा है। बिजली चोरी के मामलों में विद्युत वितरण कंपनियों को स्थानीय पुलिस की मदद लेना पड़ती है। इसके लिए लगातार पत्र भी जारी करने होते हैं। पत्र देने के बाद भी कई बार पुलिस उपलब्ध नहीं हो पाती। साथ ही खेतों में केबल चोरी के मामले भी सामने आते रहते हैं। इस कारण बिजली कंपनियों द्वारा बिजली थाने बनाए जाने की मांग की जा रही थी। कई बार बिजली कर्मचारियों पर हमले तक हो जाते हैं।
इस तरह होगा स्टाफ
बिजली थाने बनने पर हर थाने में 2 उप निरीक्षक, 4 सहायक उप निरीक्षक, 8 प्रधान आरक्षक, 16 आरक्षक का स्टाफ रखे जाने की संभावना है। इनमें 14 पुरुष और दो महिला आरक्षक शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त 30 जवानों को थाना कार्यालय में कार्य करने के लिए पदस्थ किया जाएगा। इसी तरह उप निरीक्षक सहायक श्रेणी- 2 का एक पद, सहायक उप निरीक्षक डेटा ऑपरेटर का एक पद और सहायक उप निरीक्षक सहायक श्रेणी- 3 का भी एक पद रहेगा। यह आबकारी टीम की तरह काम करेगी। अंतर सिर्फ इतना होगा कि आबकारी की टीम शराब के लिए और बिजली कंपनी की पुलिस बिजली चोरों पर कार्रवाई करेगी।
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