निवेश के लिए अधिकांश लोग बैंक एफडी पर ही भरोसा करते हैं। लेकिन कोरोना काल में बहुत से बैंकों ने अपनी एफडी पर दिए जाने वाले ब्याज में कटौती कर दी है।
लेकिन निवेश करने वालो के लिए कारपोरेट एफडी भी एक विकल्प हैं। लेकिन इसके बारे में कम लोगो को ही जानकारी होगी।
जानिए क्या होती है कॉरपोरेट एफडी
जिस तरह बैंकों की तरफ से लोगों के पैसे फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में जमा किए जाते हैं और उन पर ब्याज दिया जाता है, ठीक वैसे ही कई कंपनियों की तरफ से भी एफडी की व्यवस्था होती है। हालांकि, कंपनियों की तरफ से लोगों को दिया जाने वाला ब्याज कुछ अधिक होता है, ताकि अधिक से अधिक लोग कॉरपोरेट एफडी की ओर आकर्षित हो सकें। इसमें भी बैंक एफडी की तरह ही फिक्स रिटर्न मिलता है।
इतना मिलता है ब्याज
कॉरपोरेट एफडी का मेच्योरिटी पीरियड 1 से 5 साल के बीच होता है, जिसमें से आप अपनी सहूलियत के मुताबिक अवधि चुन सकते हैं। हालांकि, अलग-अलग समय के लिए ब्याज दर अलग-अलग हो सकती है। कुछ कंपनी एफडी में आपको 7.25 फीसदी से लेकर 8.09 फीसदी तक का ब्याज देती है। बैंकों की तरह ही कॉरपोरेट एफडी में भी वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर कुछ अतिरिक्त ब्याज दिया जाता है।
कुछ रिस्क भी होता हैं
बैंकों की तरह ही कॉरपोरेट एफडी को भी मेच्योरिटी से पहले तोड़ने पर कुछ पेनाल्टी देनी होती है। ये पेनाल्टी भी अलग-अलग कॉरपोरेट एफडी की अलग-अलग होती है। हालांकि, कॉरपोरेट एफडी में सबसे बड़ा रिस्क होता है पैसा डूबने का। डर ये होता है कि अगर कंपनी डूबी तो लोगों को पैसे भी डूब जाएंगे। यानी अधिक रिटर्न के लालच में अपना मूल भी गंवा सकते हैं। ऐसे में कॉरपोरेट एफडी का चुनाव संभल कर करना चाहिए और निवेश सुरक्षित बनाना चाहिए।
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