नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ ने बुधवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को हल करने के लिए चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत से कोई ‘सार्थक समाधान’ नहीं निकला है और हालात जस के तस हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि यदि जस से तस बनी रहती है, तो सैनिकों की तैनाती में कमी नहीं हो सकती है। राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा मामलों पर इस महीने की शुरुआत में वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) की बैठक का उल्लेख किया और कहा कि सैन्य वार्ता का अगला दौर कभी भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि भारत और चीन के बीच गतिरोध को कम करने के लिए, सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता हो रही थी। लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। सैन्य स्तर पर अगले दौर की वार्ता होगी। उन्होंने कहा कि ‘दोनों देशों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है कि किन मुद्दों पर बातचीत होगी।
डब्ल्यूएमसीसी की 18 दिसंबर को हुई बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य स्तर पर करीबी परामर्श बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस बात पर सहमत हैं कि वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला दौर जल्द आयोजित किया जाना चाहिए ताकि दोनों पक्ष मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉलों के अनुसार, एलएसी के साथ सैनिकों के प्रारंभिक और पूर्ण विघटन की दिशा में काम कर सकें, और पूरी तरह से शांति बहाल करें।
उन्होंने कहा कि यदि कोई देश विस्तारवादी है और हमारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करता है, तो भारत के पास अपनी जमीन, किसी के हाथ में नहीं जाने देने की ताकत, क्षमता और शक्ति है, चाहे वह दुनिया का कोई भी देश हो। क्या सीमा पर इस साल की घटना चीन-पाक के बीच संभावित मिलीभगत का नतीजा है? इस सवाल के जवाब में राजनाथ ने कहा कि- भारत का फोकस है कि ‘जो हमे छेड़ेगा हम उसे छोरेंगे नहीं’। हम सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहते हैं।
राजनाथ ने कहा कि मैं पिछली सरकारों पर सवाल नहीं उठाना चाहता, लेकिन मैं कह सकता हूं कि जब से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है, राष्ट्रीय सुरक्षा पहले नंबर की प्राथमिकता रही है और हम अपने रक्षा बलों को अधिकतम सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अस्तित्व में आने के बाद से, पाकिस्तान सीमा पर नापाक हरकतों में लिप्त रहा है। हमारे सैनिकों ने साबित कर दिया है कि न केवल इस तरफ, बल्कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए वे दूसरी तरफ भी जा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर सकते हैं। भारत में वह क्षमता है।
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