6 माह में चुनाव करवाना अनिवार्य, मगर राज्य शासन ने अपने हित के चलते आगे बढ़ा दिए
इन्दौर। अभी फरवरी में चुनी हुई परिषद् के कार्यकाल समाप्ति का पूरा एक साल हो जाएगा और तब से ही प्रशासक काल चल रहा है। अभी राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली थी, मगर भाजपा सरकार ने निगम चुनाव तीन महीने आगे बढ़वा दिए, जबकि नियम के मुताबिक 6 माह के भीतर चुनाव हो जाना चाहिए। अब इन तमाम मुद्दों को लेकर निगम की नेता प्रतिपक्ष रही श्रीमती फौजिया शेख अलीम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आज उनके द्वारा जनहित याचिका दायर की जा रही है। बिहार के अलावा मध्यप्रदेश में भी उपचुनाव हुए और जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, राजस्थान, हैदराबाद में नगरीय निकाय के चुनाव अभी सम्पन्न हुए और प्रदेश में अभी कोरोना का बहाना कर चुनाव टाल दिए।
देशभर में राजनीतिक आयोजन भीड़ भरे लगातार हो रहे हैं। अभी पश्चिम बंगाल में ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते लगातार विशाल रैलियां, सभाएं की जा रही है। वहीं उसके पहले मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए और उसके साथ ही बिहार की विधानसभा, लोकसभा की खाली सीटों पर भी चुनाव करवाए गए। वहीं केरल, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, तेलंगाना में नगर निगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव भी हुए। हरियाणा में भी अभी दिसम्बर में नगरीय निकाय के चुनाव तय हैं और हैदराबाद में पिछले दिनों निगम के चुनाव में भाजपा ने जोर-शोर से हिस्सा लिया और गृहमंत्री अमित शाह की ही भीड़ भरी रैलियां, सभाएं आयोजित की गई, लेकिन इन तमाम चुनावों में से कोरोना नहीं फैला और प्रदेश की शिवराज सरकार को नगरीय निकाय के चुनाव में कोरोना संक्रमण याद आ गया, जिसकी आड़ लेकर चुनाव को तीन माह आगे बढ़ा दिया, जो कि संविधान की मंशा के विपरित है। निगम की नेता प्रतिपक्ष रही श्रीमती फौजिया शेख ने एक जानकारी में कहा कि प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव पिछले एक साल से ठप पड़े हैं, जबकि नियम के मुताबिक 6 माह में ही चुनाव करवाना अनिवार्य है। फिलहाल तो कोरोना संक्रमण काबू में भी है और जिस वक्त अधिक संक्रमण था, तब प्रदेश में ही विधानसभा के उपचुनाव करवाए गए और इसी तरह देशभर में सभी तरह के चुनाव लगातार हो रहे हैं। प्रदेश सरकार खुद की सुविधा और हित के लिए अभी चुनाव नहीं करवा रही और यह बात इससे भी स्पष्ट है कि जो पत्र निर्वाचन आयोग ने चुनाव स्वीकृति के लिए प्रदेश शासन को दिया, जिसमें स्वीकार किया गया कि समय पर चुनाव नहीं करवाने के लिए प्रदेश शासन के अधिकारी दोषी हैं। निगम के चुनाव होना संवैधानिक रूप से अनिवार्य हैं और चुनाव नहीं करवाना संविधान के विपरित और उसका मखौल उड़ाना है। राज्य शासन द्वारा चुनाव नहीं करवाना संविधान की मूल भावना के भी विपरित है, जबकि आयोग की मध्यप्रदेश की चुनाव करवाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी और अन्य राज्यों की तरह प्रदेश में भी आसानी से नगरीय निकायों के चुनाव अभी हो जाते, लेकिन अभी तीन दिन पहले भी शासन ने तीन माह चुनाव आगे बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए, जिसके चलते नेता प्रतिपक्ष द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका आज दायर की जा रही है। उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम में चुनी हुई परिषद् और महापौर का कार्यकाल 19 फरवरी 2020 तक था और उसके बाद से प्रशासक काल ही चल रहा है। संभागायुक्त वर्तमान में निगम प्रशासक हैं और अभी फरवरी में पूरा एक साल हो जाएगा।
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