अपर जनसम्पर्क संचालक जीएस मौर्य ने बताया कि राज्य शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तानसेन समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर सहित अन्य जनप्रतिनिधि को बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहेंगे।
कुल 8 संगीत सभाएं होंगीं
इस बार के समारोह में कुल 8 संगीत सभाएं होंगी। पहली 7 संगीत सभाएं सुर सम्राट तानसेन की समाधि एवं मोहम्मद गौस के मकबरा परिसर में आकर्षक मंच पर सजेंगी, जबकि आठवीं एवं आखिरी सभा सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे सजेगी। समारोह की प्रात:कालीन संगीत सभाएं प्रात: 10 बजे और सायंकालीन सभाएं अपरान्ह 4 बजे शुरू होंगी।
इस बार भी विश्व संगीत होगा आकर्षण का केन्द्र
इस बार के संगीत समारोह में भी गत वर्ष की भाँति विश्व संगीत को भी शामिल किया गया है। समारोह में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विदेशी संगीत साधक प्रस्तुतियां देंगे।
हरिकथा व मीलाद गायन से होगा शुभारंभ
गान महर्षि तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले “तानसेन समारोह” में प्रात:काल तानसेन की समाधि पर सामाजिक समरसता के सजीव दर्शन होते हैं। इस बार भी आज प्रात: 10 बजे पारंपरिक रूप से हरिकथा व मीलाद के गायन के साथ “तानसेन समारोह” का पारंपरिक शुभारंभ होगा।
संतूर वादन के क्षेत्र में देश और दुनिया भर में विख्यात हैं पं. सतीश व्यास
वर्ष 2020 के राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से विभूषित होने जा रहे पं. सतीश व्यास की संतूर वादन के क्षेत्र में देश व दुनियाभर में ख्याति है। उन्हें तानसेन अलंकरण के रूप में 2 लाख रुपये की आयकर मुक्त राशि, सम्मान पट्टिका, शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया जायेगा। पं. सतीश व्यास यशस्वी संतीगज्ञ हैं। उनके पिता पं. सीआर व्यास देश के जाने-माने गुणीय शास्त्री गायक थे। पं. सीआर व्यास को भी वर्ष 1999 में तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया गया था।
पिछले 52 वर्षों से सक्रिय है अभिनव कला परिषद
इस साल का राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान भोपाल की अभिनव कला परिषद संस्था को दिया जायेगा। यह संस्था पिछले 52 सालों से सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय है। संस्था ने हजारों कलाकारों को मंच और सम्मान देने का काम निष्ठापूर्वक किया है। संस्था के संस्कृतकर्मी और तबला वादक पं. सुरेश तांतेड़ के सघन परिश्रम से इस संस्था ने अपना मुकाम बनाया है।
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