भोपाल। राजधानी में आज सुबह ठंड से हल्की राहत मिली है। हालांकि प्रदेश में हवाओं का रुख उत्तरी होने से ठंडी हवाएं आ रही हैं। इसके चलते रात के तापमान में कमी दर्ज की जा रही है। राजधानी में रात का तापमान 7.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जो कि सामान्य से चार डिग्री कम रहा है। भोपाल में सुबह के वक्त कुछ समय के लिए हवा का रुख उत्तरी से बदलकर उत्तर-पूर्वी हुआ था। इससे धूप में कुछ तल्खी महसूस हो रही है। इसके चलते राजधानी सहित प्रदेश के कुछ जिलों में दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी भी हुई है। सोमवार को शहर का अधिकतम तापमान 25.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो कि सामान्य से एक डिग्री कम रहा। वहीं, इंदौर में 26.5, ग्वालियर में 25.7 और जबलपुर में 25 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।
कुछ दिन तक जारी रहेगी तापमान में गिरावट
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर पर बना हुआ है। साथ ही एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ अभी पाकिस्तान में सक्रिय होकर उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा है। इस सिस्टम के आगे बढऩे के बाद यदि प्रति-चक्रवात बनता है, तो हवाओं का रुख बदलकर दक्षिणी होगा। इससे वातावरण में नमी बढऩे से बादल छाएंगे। इसके बाद ही रात के तापमान में बढ़ोतरी होगी और ठंड से कुछ राहत मिलने लगेगी। यदि पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति कम रही तो प्रति-चक्रवात बनने की संभावना कम हो जाएगी। इससे ठंड से विशेष राहत मिलने की उम्मीद कम हो जाएगी।
शहर की हवा में बढऩे लगा प्रदूषण
ठंड तेज हुई तो भोपाल शहर में हवा की सेहत भी बिगडऩे लगी है। हवा में धूल के कणों का स्तर बढ़ गया है। नमी का स्तर कम होने के बाद पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का अधिकतम स्तर 300 और पीएम-10 का स्तर 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के पार पहुंच रहा है। ये दोनों ही कण मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। इनका स्तर बढऩे की वजह से हवा की सेहत बताने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 150 के स्तर को छू रहा है, जो दिसंबर के पहले सप्ताह में 50 से 80 के बीच था। यह 50 तक या उससे कम होने पर हवा की सेहत अच्छी पानी जाती है। बता दें कि भोपाल की कई सड़कें खराब और कुछ कच्ची हैं। वाहनों के गुजरने के साथ ही उन पर धूल उड़ती है, जो वातावरण में फैलकर हवा को प्रदूषित करती हैं। दिसंबर के पहले सप्ताह में भोपाल समेत प्रदेशभर में हल्की बारिश हुई थी। उस समय नमी का स्तर अधिक था। इस वजह धूल के कण नहीं उड़ रहे थे क्योंकि बारिश व नमी के कारण धूल, गैस व अन्य प्रदूषित कण भारी हो जाते हैं जो सतह से उपर नहीं उड़ पाते। इस तरह वायु प्रदूषण का खतरा कम हो जाता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते तीन दिनों से धूप तेज हो गई है और नमी का स्तर घटा है। इस वजह से वाहनों के चलने के साथ ही धूल भी उड़ रही है और हवा में पीएम-2.5 व पीएम-10 का स्तर बढऩे लगा है। यही वजह है कि एक्यूआइ में बढ़ोतरी होने लगी है।
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