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    निजी भूमि पर पेड़ लगाओ, बिना अनुमति के काटो और बेचो

  • December 22, 2020

    • किसानों को नहीं लगाने होंगे वन अफसर और तहसीलदारों के चक्कर

    भोपाल। प्रदेश सरकार निजी भूमि से किसानों एवं अन्य को पेड़ काटने एवं लगाने की छूट देने जा रही है। इसके लए सरकार वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020 का प्रावधान करने जा रही है। जिसके अंतर्गत किसानों एवं अन्य को उनके खेतों/निजी भूमियों पर लगाए गए नए वृक्षों को बिना अनुमति काटने की छूट होगी तथा वे अपनी भूमियों में सभी प्रजाति के वृक्ष लगा सकेंगे। लकड़ी के परिवहन के लिए कुछ मामलों को छोड़कर टीपी से छूट दी जाएगी। वर्तमान में पेड़ काटने की अनुमति लेने के लिए 7 कानून हंै, जिनके चलते पेड़ काटने की अनुमति में किसानों आदि को बहुत दिक्कत आती हंै। ऐसे में ज्यादातर किसान चोरी-छिपे या बिना अनुमति के स्वयं की भूमि से पेड़ काटते हैं। पेड़ काटने पर वन विभाग उन पर केस भी लाद देता है। पेड़ काटने की अनुमति तहसीलदार द्वारा वन विभाग की अनुशंसा पर दी जाती है, वहीं इमारती लकड़ी की टी.पी. वन विभाग द्वारा दी जाती है। किसानों द्वारा अपने खेतों पर काष्ठ उत्पादन के लिए पेड़ लगाने, पेड़ काटने व परिवहन की सुविधा देने से किसानों को लाभ होगा तथा स्वरोजगार में वृद्धि होगी। काष्ठ उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। काष्ठ उत्पादन बढऩे से वनों पर काष्ठ चोरी का दबाव भी कम होगा।

    ये होंगे नए कानून में प्रावधान
    निजी भूमियों पर वृक्षारोपण के लिए सभी प्रजातियों के रोपण की खुली छूट। उगाए गए वृक्षों को किसी भी उम्र में, बगैर किसी अनुमति के काट सकेगा। अपने खेत/गांव में खुद का टाल स्थापित कर सकेगा जहां से काष्ठ की बिक्री इत्यादि कर सकेगा। खेत से टाल तक इमारती काष्ठ के परिवहन पर छूट दी गई है। टाल में इमारती काष्ठ की प्रसंस्करण इकाई स्थापित कर सकने की सशर्त सुविधा। विनिर्दिष्ट वनोपज को भी काटने व टाल तक लाने की छूट। विनिर्दिष्ट वनोपज की शासकीय ई-पोर्टल के माध्यम से खेत अथवा टाल से ही बिक्री करने व स्वयं बोली स्वीकार करने तथा सीधे भुगतान लेने की छूट। वृक्षों से प्राप्त काष्ठ के परिवहन हेतु कुछ मामलों को छोड़कर टीपी से छूट। सभी प्रकार के परिवहन अनुज्ञा पत्र कृषकों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्राप्त होंगे।

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