बाड़मेर । राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के सिवाना क्षेत्र की धरती में दुर्लभ खनिज मोनाजाइट के भंडार मिले हैं। भू-विभाग के सर्वे में सिवाना, मोकलसर, सिणधरी में मोनाजाइट के भंडार मिलने के बाद केंद्रीय टीम ने सिवाना क्षेत्र की धरती में इसकी संभावनाएं तलाशी थीं। अब खनन लीज के लिए कर्नाटक की फर्म को टेंडर जारी करने की तैयारी की जा रही है।
दुनिया में मोनाजाइट को लेकर अभी चीन का एकाधिकार है। एकाधिकार इसलिए क्योंकि वहां मोनाजाइट के 95 प्रतिशत भंडार हैं। शेष 5 प्रतिशत मोनाजाइट भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में अभी सिर्फ केरल में मोनाजाइट का उत्पादन होता है।
थार के भूगर्भ से तेल की धार के बाद दुर्लभ खनिजों का भंडार मिलने से इस इलाके की तस्वीर बदलने की संभावनाएं पैदा हो रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार मोनाजाइट का उपयोग आईटी इंडस्ट्रीज, सौर ऊर्जा, केमिकल इंडस्ट्रीज के अलावा आधुनिक तकनीक ऑयल रिफाइनरी में केटिलिस्ट समेत कई इंडस्ट्रीज में उपयोग होता है। इसकी देश-दुनिया में जबरदस्त मांग है। बाड़मेर में मोनाजाइट के अथाह भंडार मिले हैं। उम्मीद है कि उत्पादन शुरू होने के बाद चीनी की मोनोपॉली खत्म होगी।
जेएनवीयू जोधपुर में भू-विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एससी माथुर के अनुसार सिवाना, मोकलसर, सिणधरी समेत कई क्षेत्रों में मोनाजाइट के भंडार मौजूद हैं। केंद्र स्तर पर खनन लीज जारी होने के बाद उत्पादन शुरू होगा। मोनाजाइट की बाजार में कीमत दो हजार डॉलर (करीब डेढ़ लाख रुपये) प्रति किलोग्राम है।
मोनाजाइट लाल-खाकी रंग का फॉस्फेट खनिज है। इसमें दुर्लभ मृदा तत्व (रेयर अर्थ एलिमेन्ट) पाए जाते हैं। यह छोटे क्रिस्टलों में होता है जो किसी रेत, मिट्टी या अन्य पत्थरों के बीच बिखरे होते हैं। मोनाजाइट थोरियम, लैन्थनम और सीरियम तत्वों को उपलब्ध करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज है। इसमें कुछ मात्रा में यूरेनियम मौजूद होता है। उनके अल्फा क्षय से हीलियम गैस भी पैदा हो जाती है। मोनेजाइट के साथ कई रेयर अर्थ हैं। इस वजह से दुर्लभ श्रेणी में माना गया है। मोनाजाइट में गैलेनियम, रुबीडियम, इप्रीयम, थोरियम, जर्मेनियम, सीरियम, यूरेनियम समेत कुल 16 प्रकार के खनिज हैं। ये सभी जैथोनोइट ग्रुप के हैं।
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