भोपाल। मध्य प्रदेश स्थित प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटकों को इन दिनों बाघ की जगह सर्चिंग करती पुलिस का दीदार ज्यादा हो रहा है। सूने जंगलों में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उनकी गश्त भी बढ़ाई जा रही है। हालांकि फिलहाल यह कवायद बफर जोन तक ही हो रही है। कोर जोन (जंगल का भीतरी और सघन क्षेत्र) में बल की गैर मौजूदगी और एकांत का फायदा उठाकर नक्सली बेखौफ घूम रहे हैं। यहां नक्सलियों की मौजूदगी से पर्यटन पर खतरा बढ़ रहा है। सुरक्षा में चूक से कान्हा के जंगल में अकसर आने वाले अति विशिष्ट लोगों (वीआइपी) की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं अधिकारी और नेता नक्सलियों के निशाने पर हैं। दरअसल, पार्क छत्तीसगढ़ के बस्तर, राजनांदगांव, कबीरधाम जिलों और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सक्रिय नक्सली दलम के लिए अब अहम ठिकाना होता जा रहा है। दलम के विस्तार के साथ यहां नक्सलियों ने अपना डेरा जमा लिया है और आने-जाने के लिए कॉरीडोर बना लिया है। वन विभाग के नियमों के मुताबिक बिना विशेष अनुमति कोर जोन में सशस्त्र बल सर्चिंग नहीं कर सकते और इसी का फायदा नक्सली उठा रहे हैं। हालांकि जल्दी ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कंपनी यहां तैनात की जा रही है। बीते सात नवंबर को वन मंत्री कुंवर विजय शाह के प्रवास के दौरान कान्हा के पास बड़ी संख्या में नक्सलियों की मौजूदगी पाई गई थी। यहां पुलिस और नक्सलियों का आमना-सामना भी हुआ था। मालखेड़ी में हुई मुठभेड़ में महिला नक्सली शारदा उर्फ पुज्जो मारी गई थी। प्रदेश सरकार ही नहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस मामले में चिंता जताई है। पार्क प्रबंधन ने भी राज्य सरकार से विशेष सुरक्षा बल की मांग की है। नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले की गतिविधियों से राज्य और केंद्र सरकार को भी नियमित रूप से अवगत कराया जाता है। माना जाता है कि सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के जंगलों में सुरक्षा बलों का दबाव ज्यादा होने से नक्सली कान्हा में ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
ऐसे गंभीर खतरा बन रहे नक्सली
कोर जोन में आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित होने से नक्सलियों से जुड़ी सूचनाएं नहीं मिल पातीं। कोर जोन में नियमित सर्चिंग नहीं होती है, जिससे यह सुरक्षित ठिकाना बन गया है। नक्सलियों के डर से पार्क प्रबंधन का अमला भी उनके रास्ते से किनारा कर लेता है।
इनके लिए ज्यादा बड़ा खतरा हैं नक्सली
कान्हा में आए दिन नेता, उद्योगपति, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी और बड़े अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है। नक्सलियों की मौजूदगी कभी भी इनके लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
इनका कहना है
कान्हा के कोर जोन में बसाहट नहीं होने से यहां सूचनाएं कम मिलती हैं। जब सूचनाएं आती हैं, तब पुलिस पार्टी सर्चिंग के लिए कोर जोन में जाती है। यहां वीआइपी सुरक्षा पर खतरा बना रहता है। एरिया डोमिनेशन के लिए लगातार पार्टी सर्चिंग करती है। यहां बल बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सीआरपीएफ की एक कंपनी तैनात की जा रही है। जिसमें करीब 1100 जवान मंडला-बालाघाट जिलों की सीमा पर तैनात होंगे।
-अभिषेक तिवारी, एसपी, बालाघाट, मप्र
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