बेगूसराय। केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि है कि देश में हर उत्पाद और उत्पादन के लिये पूरा देश एक मार्केट है। किसान भाइयों को अभी तक इस व्यवस्था से दूर रखा गया था। लेकिन अब किसान जिसे चाहें, जहां चाहें, जिस कीमत पर चाहें अपनी फसल को, अपने मोल तोल की ताकत के साथ बेच सकते हैं। किसान अगर एपीएमसी बाजारों के भीतर या एमएसपी पर उपज बेचना चाहें तो वह भी कर सकते हैं। इसलिए एमएसपी किसानों के लिए एक सेफ्टी नेट के तौर पर काम करता है।
गिरिराज सिंह ने कहा है कि किसानों के लिए अपना उत्पाद बेचने के लिए एपीएमसी बाजार यार्ड खोले जाएंगे। इसके अलावा वह मंडियों के बाहर भी अपनी उपज बेच सकते हैं। किसानों से खरीदारी की इस प्रतिस्पर्धा का मतलब है कि किसानों के पास अपनी कीमत तय करने के लिहाज से तोल-मोल की ज्यादा ताकत होगी। हर उत्पाद और हर उत्पादक के लिए पूरा भारत एक एकीकृत बाजार है। केवल किसानों को ही इस विशाल बाजार के लाभ से वंचित रखा गया था। इन सुधारों के साथ भारतीय किसान अब आखिरकार अपनी उपज जिसे चाहें, जहां चाहें और जितनी भी कीमत पर बेच सकते हैं, उन्हें अब तक इस विकल्प से वंचित रखा गया था। अगर किसानों को उनके घर पर ही उपज की खरीददारी के लिए इच्छुक खरीददार मिलते हैं तो वे उन्हें अपनी उपज बेच सकते हैं। उनके लिए एक कानूनी संरचना भी है जो इस प्रक्रिया के दौरान उनके अधिकारों की सुरक्षा करती है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचेगा। फार्मगेट के करीब बुनियादी ढांचे का विकास कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करेगा, ग्रेडिंग और सॉटिंग के जरिए आय बढ़ाएगा और खाद्य प्रसंस्करण, खुदरा, और निर्यात में टर्मिनल बाजारों से जुड़ाव को बढ़ाएगा। इससे किसानों के लिए बेहतर कीमत तलाशने से जुड़े तंत्र का भी विकास होगा और उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत मिलेगी। कृषि उपज में ई-नाम इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए राष्ट्रीय मंच के तौर पर काम करने की अपनी क्षमता आखिरकार हासिल कर सकता है। देश के विभिन्न राज्यों में इस प्रकार की बाजार प्रणाली और वहां तक किसानों की पहुंच से जुड़ी कई सफल कहानियां पहले ही मौजूद हैं।
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