इन्दौर। कल कलेक्टर मनीषसिंह का कल जन्मदिन था… पत्नी ने सुबह जन्मदिन की बधाई देते हुए उनसे कहा कि आज किसी को डांटना-डपटना मत और हंसते-मुस्कराते मिलते, समझाते दिन बिताना… पत्नी की हिदायत ने ऐसा रंग दिखाया कि मनीषसिंह का बदला मिजाज देखकर जहां प्रशासनिक अधिकारी हतप्रभ थे, वहीं कलेक्ट्रेट के कर्मचारी भी अपने मुखिया की मुस्कान को देखकर खुश नजर आए… इस दौरान कलेक्टर ने बधाई देने वाले अधीनस्थों का न केवल अभिवादन स्वीकार किया, बल्कि उनसे निजी जीवन के हालचाल भी जाने। हालांकि वे उन्हें ईमानदारी से काम करने और आम लोगों की परेशानी हल करने के लिए दिल से जुडऩे का पाठ पढ़ाने से नहीं चूके।
कलेक्टर मनीषसिंह कल अपना 53वां जन्मदिन परिवार के साथ मनाने के बाद खुद अपने निजी मित्रों के घर और दफ्तर पहुंचे। उनके साथ अपने बीते दिनों के संस्मरणों को ताजा करते हुए अपनी कार्यशैली और शहर की व्यवस्था में बदलाव से आम लोगों को मिली सुविधा और गुण्डा-माफिया विरोधी अभियान की प्रतिक्रिया जानी और सुझाव भी साझा किए। मित्रों से ही चर्चा में उन्होंने बताया कि आज पत्नी ने हिदायत दी है कि अपने गुस्से को शांत रखना और किसी से डांट-डपट नहीं करना। इसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे कलेक्टर ने जन्मदिन की बधाई देने वाले अधीनस्थों का न केवल अभिवादन स्वीकार किया, बल्कि दफ्तर के चपरासी और कर्मचारियों के पुष्प भी स्वीकार कर उनके हालचाल पूछे। इस दौरान उन्होंने स्वयं कलेक्ट्रेट में आए आम लोगों से उनकी परेशानियां साझा करते हुए कई लोगों के काम ताबड़तोड़ करवा डाले। जिन लोगों को तत्काल राहत मिली वे लोग उन्हें दुआएं देते नजर आए।
अधिनस्थों की बधाईयां स्वीकारते कर्तव्य निष्ठा के विचार भी साझा किए
बधाई देने अधीनस्थों का अभिवादन स्वाकारते कलेक्टर उन्हें कत्र्र्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाने नहीं चूके। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने जनता का काम करने के लिए अपने माध्यम के रूप में हमें चुना है। इस कत्र्र्तव्य से गद्दारी ईश्वर की अवमानना होगी। आप लोग छह माह तक निष्ठापूर्वक हर व्यक्ति की परेशानी दूर करने का प्रण लेें, फिर उससे जो दुआएं और सुकून मिलेगा वह इस कत्र्र्तव्यनिष्ठा को आदत में बदल देगा और यही हर व्यक्ति के जीवन की जरुरत होती है।
दलालों का भी पक्ष सुना…कहा मैं बिना मध्यस्थता की व्यवस्था चाहता हूं…
पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में दलाली के मामलों में कलेक्टर ने जिन लोगों पर कार्रवाई करवाई थी वे भी अपनी पेशी के लिए कलेक्ट्रेट में हाजिर थे। उन्हें भी बुलाकर कलेक्टर ने कहा कि मैं ऐसी व्यवस्थाओं से ही नाखुश हूं जिसमें आम लोगों को अपने काम के लिए किसी मध्यस्थ का सहारा लेना पड़े। इसीलिए मैंने आम लोगों पर कार्रवाई के साथ ही अपने दफ्तर को भी प्रतिबद्ध करने का काम शुरू किया है, जहां किसी मध्यस्थ की आवश्यकता न हो और लोग स्वयं अपना काम समय सीमा में करवाने के साथ हर प्रशासनिक कार्य का भी अनुभव लेें। कलेक्टर से चर्चा के बाद मध्यस्थ भी खुश नजर आए कि उन्हें प्रशासनिक मुखिया के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर मिला।
कलेक्ट्रेट में आए लोगों से भी खुद जाकर समस्याएं जानीं
कलेक्ट्रेट में अपने काम के लिए कतार लगाकर खड़े लोगों के बीच एकाएक कलेक्टर जा पहुंचे और उन लोगों से उनकी समस्याओं के बारे मेें जानकारी लेने के साथ ही जिन लोगों के काम तत्काल हो सकते थे उन्हें कराए जाने के निर्देश दिए। कलेक्टर द्वारा दलालों का प्रवेश बंद कराए जाने के बाद अब जिन लोगों के काम हैं उनकी भीड़ बढऩे लगी है। अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे कार्यालयीन समय में दफ्तर में मौजूद रहकर लोगों के काम निपटाएं।
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