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    कमलनाथ ने दिए कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत

  • December 15, 2020

    • सन्यास के बयान के बाद गर्माई प्रदेश की सियासत
    • एक पद छोडऩे का ऐलान कर सकते हैं

    भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के राजनीति से सन्यास लेने का बयान के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है। उनके बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खुद के सन्यास से कमलनाथ ने प्रदेश कांगे्रस में बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं। कमलनाथ चार दिन के छिंदवाड़ा दौरे पर हैं। वे क्षेत्र की जनता के बीच दो दिन में दो बार कह चुके हैं कि यदि छिंदवाड़ा की जनता कहेगी तो संन्यास ले लूंगा। कमलनाथ समर्थक कह रहे हैं कि क्षेत्र की जनता के बीच ऐसे बयान देना आम बात है, लेकिन अन्य गुटों के नेता कह रहे हैं कि सत्ता जाने के बाद कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष हैं। स्वभाविक है वे एक पद जल्द छोड़ सकते हैं। कमलनाथ के राजनीतिक कद को देखें तो मध्य प्रदेश में उनके मुकाबले के नेता दिग्विजय सिंह ही हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में दूसरी लाइन के नेताओं में से किसी को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिल सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि यदि कमलनाथ पद छोड़ते हैं तो किसी युवा नेता को ही कमान सौंपी जाएगी। दरअसल, कांग्रेस ओबीसी या आदिवासी कार्ड खेल सकती है। नेता प्रतिपक्ष आदिवासी बनता है तो प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से बन सकता है। ऐसा निर्णय होने की उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि कमलनाथ के कट्टर समर्थक पूर्व मंत्री बाला बच्चन को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए दिग्विजय सिंह सहमत हैं। ऐसे में जीतू पटवारी या अरुण यादव में से किसी एक को मौका मिल सकता है। हालांकि जमुनादेवी के भतीजे और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार भी इस दौड़ में हैं, क्योंकि जीतू और अरुण के अलावा उमंग भी राहुल गांधी की कोर टीम के मेंबर हैं।

    चौरे के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने से दुखी
    कमलनाथ ने सौंसर में संन्यास लेने के संकेत क्यों दिए? इसके पीछे वजह चौरे परिवार को बताया जा रहा है, जिसे कमलनाथ राजनीति में लाए थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले पूर्व विधायक अजय चौरे भाजपा में शामिल हो गए। इससे कमलनाथ दुखी हैं। कमलनाथ ने रेवानाथ चौरे (अब दिवंगत) को विधायक का टिकट देकर राजनीति में उतारा था। वे अर्जुन सिंह की सरकार में दो बार मंत्री बने। इसके बाद सौंसर से उनकी पत्नी कमला चौरे विधायक बनीं। उनके बेटे अजय चौरे विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में विजय चौरे विधायक हैं। सूत्रों का कहना है कि अजय चौरे के भाजपा में जाने से कमलनाथ नाराज हैं, इसिलए उन्होंने संन्यास लेने वाला बयान सौंसर जाकर दिया।

    पीसीसी चीफ की कुर्सी छोड़ेंगे कमलनाथ!
    लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई थी। उन्होंने चुनाव हार की जिम्मेदारी लेते हुए हाईकमान के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी थी, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया था। उपचुनाव के परिणाम के बाद यह साफ हो गया था कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ देंगे। संन्यास वाले बयान के बाद फिर नए अध्यक्ष को लेकर हलचल तेज हो गई है।

    9 बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए कमलनाथ
    मध्य प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर बैठ गए हैं। कमलनाथ 18वें व्यक्ति हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश का सीएम चुना गया था। कमलनाथ ने मई 2018 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तब से ही पीसीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दूसरे किसी नेता को सौंपने की अटकलें चल रही हैं। कमलनाथ 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। कुल 9 बार कमलनाथ सांसद चुने गए। उन्हें सिर्फ एक बार उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा से हार का सामने करना पड़ा था। कमलनाथ ने एक ऐसे इलाके में विकास किया है जो आदिवासी बाहुल्य और पिछड़ा माना जाता है। इस क्षेत्र की कमान संभालने के साथ ही छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने लोगों को रोजगार दिया।

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