इंदौर। नशे में शहर की अव्वलता का एक जीता-जागता सबूत कल रात को देखने को मिला, जब सालों से चल रहे ताड़ी के ठीये पर कल रात एक युवक ताड़ी पीते-पीते बदहवास हुआ और उसकी मौत हो गई। युवक को वे लोग अस्पताल लेकर पहुंचे जो वहां ताड़ी पीने आए थे।
मिली जानकारी के अनुसार कल रात 10 बजे 30 साल के अरशद नामक युवक को कुछ लोग एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई। अरशद कहां का रहने वाला था और क्या करता था यह तो उसे अस्पताल ले जाने वाले नहीं बता पाए, लेकिन उनका कहना था कि तेजाजी नगर ब्रिज के पास से जंगल में एक ताड़ी पिलाने का ठीया है। उसी ठीये पर अरशद ताड़ी पी रहा था। एकाएक उसे उल्टियां होने लगीं, फिर वह अचेत हो गया। संभवत: उसकी मौत का कारण जहरीली ताड़ी ही है। फिलहाल उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पातल की मच्र्यूरी में रखा गया है। तेजाजी नगर पुलिस की मिलीभगत से यह ठीया कई सालों से चल रहा है। ठंड के मौसम में तो यहां ग्राहकों की तादाद बढ़ जाती है। कल भी उक्त ठीये पर करीब 300 लोग ताड़ी पीने आए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि तेजाजी नगर पुलिस ने क्या आंख बंद कर ली है। इतनी तादाद में लोग यहां नशा करने आते हैं और महफिल सजती है, इसके बावजूद पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। उक्त ठीये को अन्ना नामक शख्स चलाता है। उसकी गुंडागर्दी के भी खूब चर्चे हैं। बताया जा रहा है कि उसके पास गुंडों की लंबी-चौड़ी फौज है, जिनके दम पर यह ठीया चलाता है।
झाबुआ जिले में पाए जाने वाले ताड़ी के पेड़ भी हंै ठीये के पास
यहां का नजारा बिलकुल झाबुआ जिले जैसा है। ठीये पर जाने के लिए दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। हालांकि हाईवे से ज्यादा दूरी पर यह ठीया नहीं है। ठीये के पास एक नाला भी बह रहा है। नाले किनारे ताड़ी के कई पेड़ हैं। नशेडिय़ों को पुराने तरीके से छोटी-छोटी मिट्टी की मटकियों में ताड़ी दी जाती है। एक मटकी की कीमत 40 रुपए के आसपास है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि जितनी संख्या में यहां ग्राहक आते हंै उतनी ताड़ी तो इन पेड़ों से नहीं निकलती है। इसका मतलब साफ है कि ताड़ी में मिलावट की जाती है। उसमें केमिकल डाला जाता है। शायद यही जहरीला केमिकल अरशद की मौत का कारण बना।
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