नई दिल्ली। स्वदेशी जागरण मंच ने भी केन्द्र सरकार से कहा है कि वह किसानों के मन में उपजे संशय को दूर करे और इसके लिए कानून में जायज संशोधन भी करे। मंच ने डिजीटल माध्यम से हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में दो प्रस्ताव पारित किए। इसमें खुदरा बाजार में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के धोखाधड़ी से किए जा रहे प्रवेश को रोकने को कहा गया है।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय डिजीटल सम्मेलन में मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर. सुंदरम्, जोहो कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीधर बेमू, सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री बजरंगलाल गुप्त और मंच के सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन सहित देश भर के प्रतिनिधि शामिल हुए। दिन भर चली चर्चा और विचार विमर्श के बाद मंच ने दो प्रस्ताव पारित किए।
खुदरा बाजार में चोरी-छिपे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की घुसपैठ के खिलाफ पारित पहले प्रस्ताव में कहा है कि भारतीय खुदरा क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े खुदरा बाजारों में से एक है। यह हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत का योगदान देता है, यह देश में प्रमुख रोजगार प्रदाता भी है। देश में कुल रोजगार का 8 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र से आता है। देश के कुल खुदरा व्यापार का 81 प्रतिशत भाग पारंपरिक खुदरा बाजार का है, जबकि संगठित और ई-कॉमर्स का योगदान क्रमशः 9 प्रतिशत और 3 प्रतिशत है। 8 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा दो करोड़ छोटी बड़ी दुकानों के माध्यम से पारंपरिक खुदरा व्यापार संचालित होता है। यह क्षेत्र ने न केवल रोजगार उत्पन्न करता है, बल्कि युवा पीढ़ी को अपने उद्यमशीलता का कौशल दिखाने का अवसर भी देता है। इस पृष्ठभूमि में सरकार ने मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश के प्रतिबंधित किया हुआ है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा मल्टीब्रांड रिटेल क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का काम किया है। अब बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुख्य स्थानीय कंपनियों के साथ सोझेदारी कर रही है। इस माध्यम से बहुराष्ट्रीय कंपनियां अत्यंत चालाकी से यह कोशिश कर रही है कि देश के एफडीआई कानूनों को धत्ता दिखाते हुए ‘ओमनी चैनल’ खुदरा मॉडल व्यवस्था लागू की जाए।
इन निवेशों में फेसबुक (जो व्हाट्सएप की भी स्वामी है) द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा बनाई गई जिओ प्लेटफार्म लिमिटेड में किया गया निवेश सर्वाधिक महत्व का है। जिओ प्लेटफार्म में जिओ टेलीकॉम लिमिटेड, (जो भारत का सबसे बड़ा टेलीकॉम नेटवर्क है), टीवी-18 (एक मीडिया कंपनी ग्रुप) और जिओ मार्ट (ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस) शामिल है।
स्वदेशी जागरण मंच की मांग है कि भारतीय बिजनेस घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच यह सांठगांठ न केवल स्थानीय किराना स्टारों के रूप में भारत के बहु ब्रांड खुदरा में संलग्न एक बड़ी जनसंख्या सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों क्षेत्र ही नहीं उपभोक्ताओं के हितों पर भी कुठाराघात करेंगी, उन्हें इस क्षेत्र में आने की अनुमति न दी जाये। साथ ही एफडीआई नियमों को उपयुक्त तरीके से संशोधित किया जाये ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तरीके से बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रवेश रोका जा सके।
वहीं किसान आंदोलन के मद्देनजर पारित दूसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि कई राजनीतिक दल और किसान संगठन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हालांकि नवीन कृषि विधेयकों को लाने में सरकार की नीयत सही है लेकिन इन नये कानूनों में कमियों और उनसे उत्पन्न संश्यों और डर को दूर करने हेतू कुछ संशोधन आवश्यक है। ‘किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020’ का भाव यह है कि मध्यस्थों से बचाकर किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले।
इस संबंध में यह संशय उत्पन्न हो रहा है कि मंडी शुल्क से मुक्त होने के कारण व्यापारियों और कंपनियों को स्वाभाविक रूप से मंडी से बाहर खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे में मंडी का महत्व ही नहीं रहेगा किसान भी मंडी से बाहर बिक्री करने के लिए बाध्य होगा। ऐसे में बड़ी खरीदार कम्पनियां किसानों का शोषण कर सकती हैं। ऐसे में स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि जब कानून बन ही रहे हैं और मंडी के बाहर खरीद को अनुमति दी जा रही है, ऐसे में जरूरी है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी हो और न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम खरीद गैरकानूनी घोषित हो। केवल सरकार ही नहीं कोई भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम न खरीद पाए। (एजेंसी, हि.स.)
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