सरकार के डिजिटल इंडिया के बड़े-बड़े दावों के बीच जमीनी हकीकत यह है कि मोबाइल नेटवर्क की तलाश में बच्चों को घर से पांच किलोमीटर दूर पहाड़ की चोटी पर जाकर ऑनलाइन परीक्षा देनी पड़ी। मंगलवार को मौसम खराब रहा और बारिश से बचने के लिए बच्चों ने एक खतरनाक चट्टान के नीचे ओट लेकर पर्चा दिया।
कोरोना महामारी के बीच हिमाचल के जनजातीय इलाके भरमौर की खुंदेल और बलोठ पंचायतों के बच्चों को सेकेंड टर्म की ऑनलाइन परीक्षा देना जान पर भारी पड़ सकता है। परीक्षा के लिए सिगनल की तलाश में बच्चे तीन घंटे का सफर तय कर पहाड़ी तक पहुंच रहे हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों और अभिभावकों की मानें तो वे कई बार सरकार और प्रशासन से क्षेत्र में मोबाइल सिगनल की समस्या के समाधान करवाने की मांग उठा चुके हैं। बावजूद इसके आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। कोरोना काल के चलते नौ माह से शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार के आदेशानुसार बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा ली जा रही हैं।
मंगलवार को पांचवीं से लेकर जमा दो कक्षा तक के विद्यार्थियों की ऑनलाइन परीक्षा थी। बलोठ पंचायत प्रधान रत्न चंद, पूर्व प्रधान देवराज, खुंदेल प्रधान प्रभाती, अभिभावक सोभिया राम, प्रवीण, अंबिया राम ने बताया कि समस्या से शासन-प्रशासन को कई बार बताया, लेकिन कोई हल नहीं हुआ
घर-द्वार प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं पहुंचाने के दावे हवा
सरकार ने जनजातीय या दुर्गम इलाकों के विद्यार्थियों के लिए मोबाइल नेटवर्क न होने पर घर-द्वार प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन इस मामले के सामने आने पर सरकार के ये दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।
उधर, उच्च शिक्षा उपनिदेशक देवेंद्र पॉल ने बताया कि जिले में दस प्रतिशत बच्चों को घरद्वार प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका पहुंचाई जा रही हैं। कहा कि बच्चों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग हर तरह से प्रयासरत है।
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