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दुनिया के सर्वोच्च गेमिंग बाजारों में शामिल हुआ भारत

December 09, 2020

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या वाला भारत दुनिया में सर्वोच्च गेमिंग बाजारों में से एक बन रहा है। दिलचस्प गेमिंग के लिए गेमर्स तेजी से कंप्यूटर आधारित गेमिंग की ओर रुख कर रहे हैं।

यह बात वेस्टर्न डिजिटल के ‘नैक्स्ट-जन गेमर्स’ शोध-1 में सामने आई है। उत्साह, मनोरंजन व चुनौती कंप्यूटर गेमिंग की दिलचस्पी बढ़ाने के मुख्य तत्व हैं, लेकिन आधे से ज्यादा लोगों (57 फीसदी) ने बताया कि गेम के खराब अनुभव के लिए मुख्य रूप से स्लो स्टोरेज जिम्मेदार है। गेमर्स को गेमप्ले का अनुभव सुधारने तथा गेम्स की अगली पीढ़ी द्वारा विकसित होते गेमिंग के परिदृश्य में ढलने में मदद करने के लिए वेस्टर्न डिजिटल ने अपने स्टोरेज समाधानों के WD_BLACK पोर्टफोलियो के तहत नए उत्पादों की श्रृंखला प्रस्तुत की।

सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने स्लो गेम लोडिंग (51 प्रतिशत) एवं बैंडविड्थ (51 प्रतिशत) को मुख्य दिक्कतें बताईं। जहां फास्ट गेम लोडिंग के लिए सबसे बड़ी समस्या स्लो स्टोरेज है, वहीं गेमर्स का मानना है कि गेमिंग के संपूर्ण अनुभव में रैम (52 प्रतिशत), ग्राफिक्स कार्ड (43 प्रतिशत) और प्रोसेसर (41 प्रतिशत) की भी भूमिका है। ‘नैक्स्ट जन इंडियन गेमर’ सर्वे में खुलासा हुआ कि 59 प्रतिशत गेमर्स के लिए स्लो लोडिंग टाईम के चलते उनका गेम प्ले प्रभावित हुआ। हर पांच गेमर्स में से दो को स्टोरेज की कमी के चलते अपने पुराने टाइटल डिलीट करने पड़े।

वेस्टर्न डिजिटल के सेल्स, इंडिया डायरेक्टर खालिद वानी के अनुसार ‘गेमिंग के परिदृश्य के विकास एवं गेमिंग के ज्यादा दिलचस्प टाइटल आ जाने के बाद गेमर्स को स्पीड बनाए रखने के लिए ज्यादा बेहतर परफॉर्मेंस की जरूरत है। हमारा लेटेस्ट WD_BLACK SSD पोर्टफोलियो अभिनव है और हाई परफॉर्मेंस स्टोरेज समाधान प्रदान करता है, जो खासकर गेमर्स के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और उन्हें गेम में सबसे आगे रखते हैं। हमने इंटरनल और पोर्टेबल एसएसडी को ऑप्टिमाइज़ किया है और ये उत्पाद न केवल गेमर्स को ज्यादा स्टोरेज प्रदान करते हैं, अपितु गेमिंग के संपूर्ण अनुभव में भी सुधार करते हैं।’ (एजेंसी, हि.स.)

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धान के भूसे से पल्प और टेबलवेयर जैसे उपयोगी उत्पाद बनाना संभव

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नई दिल्ली। गोदावरी बायोरिफाइनरीज लिमिटेड और केजे सोमैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने धान का भूसा जलाने के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद के लिये एक समाधान निकाला है। इंस्टीट्यूट की मेकैनिकल डिपार्टमेन्ट फैकल्टी प्रोफेसर शिवांगी विराल ठक्कर ने धान के भूसे से पल्प और टेबलवेयर जैसे उपयोगी उत्पाद बनाने का प्रस्ताव दिया है। […]
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