इंदौर । कल भोपाल में महापौर पद के लिए आरक्षण होना है, जिसमें इंदौर महापौर का पद सामान्य या ओबीसी में से एक होगा, जिसके चलते भाजपा और कांग्रेस में दावेदारी शुरू हो गई है। भाजपा की ओर से दौड़ में मधु वर्मा सहित जहां कई दावेदार शामिल है, वहीं मंत्री पद ना मिलने पर रमेश मेंदोला का नाम भी चल रहा है। कांग्रेस से विशाल पटेल और संजय शुक्ला के नाम चर्चा में हैं।
इंदौर महापौर के महत्वपूर्ण पद का चुनाव भी इस बार जनता द्वारा ही किया जाएगा, जिसमें भाजपा का पलड़ा भारी ही है। प्राधिकरण अध्यक्ष रह चुके और राऊ से टिकट से वंचित किए गए मधु वर्मा जहां सामान्य या ओबीसी, दोनों ही वर्ग से वे चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं जीतू जिराती, गोपी नेमा और सुदर्शन गुप्ता भी दौड़ में हैं। वहीं मंत्री ना बनाए जाने की स्थिति में रमेश मेंदोला की दावेदारी भी सामने आ सकती है। वहीं कांग्रेस की ओर से महापौर के लिए जीताऊ चेहरे की तलाश जारी है। पहले आजमाए जा चुके चेहरों को इस बार मौका नहीं मिलेगा। दोनों विधायक विशाल पटेल और संजय शुक्ला दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं। वहीं राऊ के विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी महापौर का चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जाते हैं। एक नाम छोटे यादव का भी चर्चा में हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से उतने दावेदार अभी मैदान में नहीं है जितने भाजपा की ओर से हैं इसलिए भाजपा को प्रत्याशी चुनने में खासी मशक्कत करना पड़ेगी, क्योंकि सभी प्रत्याशियों की दावेदारी मजबूत है।
20 सालों से शहर पर भाजपा महापौर काबिज
बीते 20 सालों से जनता द्वारा सीधे चुनाव के चलते महापौर के महापौर ही शहर पर काबिज रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय, डॉ. उमाशशि शर्मा, कृष्णमुरारी मोघे के बाद श्रीमती मालिनी गौड़ महापौर बनी, जिसके कार्यकाल में शहर चार बार स्वच्छता में नम्बर वन भी आया।
लोकसभा से कम नहीं है महापौर का निर्वाचन
जिस तरह लोकसभा का बड़ा चुनाव होता है, उसी तरह निगम महापौर का चुनाव भी आसान नहीं है। 6 से अधिक विधानसभा क्षेत्र निगम सीमा में शामिल हैं, जिनमें वार्डों की संख्या 85 हो गई है, जिसके चलते भाजपा बाजी मारती रही है।
काबिना मंत्री से ज्यादा हैसियत इंदौर के प्रथम नागरिक की
इंदौर का महापौर प्रदेश में बड़ा ताकतवर माना जाता है, जिसकी हैसियत काबिना मंत्री से ज्यादा रहती है, क्योंकि इंदौर व्यवसायिक राजधानी है। वहीं आम जनता से लेकर बिल्डर -कालोनाइजरों और रसूखदारों का वास्ता निगम से ही ज्यादा पड़ता है।
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