गुना। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले हरी सब्जियों के बढ़ते दामों ने आमजन की परेशानी बढ़ाई और अब खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने घर खर्च चलाना भी मुश्किल कर दिया है। प्रतिदिन इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्य पदार्थों के रेट ऐेसे समय में बढ़े हैं जब हर वर्ग पहले से ही गंभीर आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है। तेल व दालों के साथ-साथ चाय की पत्ती के दामों में दिवाली के बाद से इतना इजाफा हो गया है कि मध्यम वर्गीय परिवार को अन्य खर्चों में कटौती के बारे में सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
किराना व्यवसायियों के मुताबिक खाद्य पदार्थों के दामों में यह उछाल दिवाली के बाद आया है। स्थिति यह है कि तेल व चाय की पत्ती के दाम तो प्रतिदिन बदल रहे हैं। दिवाली से पहले मूंगफली तेल 135 रुपये प्रति लीटर था, जो अब 150 रुपये में बिक रहा है। सोयाबीन तेल की कीमत 90 थी अब 120 हो गई। सरसों तेल 100 रुपये था, जिसकी अब रेट 135 हो गई है। सूरजमुखी तेल 105 से 130 हो गया है। तुअर दाल दिवाली से पहले 85 रुपये किलो बिकी अब 110 रेट हो गए हैं। हरी मूंग दाल के भाव 80 से 94 रुपये हो गए हैं। काली मूंग के दाल 110 से बढक़र 130 रुपये किलो हो गए हैं। चाय की पत्ती के दामों में सबसे ज्यादा उछाल आया है। जो चाय दिवाली से पहले 180 रुपये किलो थी वह 280 रुपये किलो बिक रही है।
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कम उत्पादन ने बढ़ाए रेट
कोरोना काल में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने सबसे ज्यादा चिंतित मध्यम वर्गीय परिवार को किया है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से अधिकांश लोग पहले ही बेरोजगारी और बाजार की मंदी की वजह से गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे हैं। तेल, दाल से लेकर चाय की पत्ती के दामों में आई तेजी का कारण जब किराना व्यवसाय से जुड़े बड़े दुकानदारों से पूछा गया तो उनका कहना था कि यह कम उत्पादन का साइड इफेक्ट है। सबसे ज्यादा दामों में उछाल चाय की पत्ती में आया है। क्योंकि देश भर में चाय की पत्ती असम से आती है। वहां उत्पादन कम होने की वजह से ही दाम बढ़े हैं। वही तेलों की रेट बढऩे की वजह सरकार की आयात नीति व इस बार सोयाबीन का उत्पादन कम होना है।
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यह बोलीं गृहणी
तेल, दाल व चाय ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनका हर व्यक्ति प्रतिदिन इस्तेमाल करता है। निश्चित रूप से इनके भाव बढऩे से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे परिवारों को हैं जिनकी प्रति माह आय सीमित है। सरकार को दाम नियंत्रित करने की ओर जरूर सोचना चाहिए।
शारदा, गृहणी
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