जयपुर। केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों की ओर से 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद को लेकर राजस्थान में गहलोत सरकार और प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि एनडीए सरकार के काम करने के तरीके के कारण आज देशभर के किसान सडक़ों पर आए हैं और भारत बंद का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने सभी संवैधानिक रीति रवाजों और लोकतांत्रिक तरीकों की धज्जियां उड़ा दी हैं। लोकतंत्र में संवाद सबसे जरूरी है लेकिन नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और किसान संगठनों से कोई बात ही नहीं की। दूसरी तरफ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने इसे गांधी परिवार की पार्ट टाइम पॉलिटिक्स बताते हुए गहलोत को कर्जमाफी का वादा पूरा करने का सुझाव दिया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि जब केंद्र सरकार शांतिपूर्ण धरनों में जनता की बात नहीं सुनेगी, विपक्ष और राष्ट्रीय किसान संगठनों से संवाद नहीं करेगी, राज्यपाल विपक्षी सरकारों द्वारा सदन में पास किए गए बिलों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेजेंगे और राष्ट्रपति विपक्षी पार्टी की सरकार वाले मुख्यमंत्रियों को मिलने का समय नहीं देंगे तो जनता किस तरह अपनी भावना केंद्र सरकार के सामने प्रकट करेगी? गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार का रवैया अहंकार और फासीवादी सोच से भरा हुआ है, इसलिए वे जनता और विपक्ष की आवाज नहीं सुन रहे। किसी भी सरकार का विरोध, ज्ञापन, धरना प्रदर्शन इत्यादि उसकी नीतियों और फैसलों के कारण होते हैं जो स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा में आवश्यक है। सरकार का विरोध करना देशविरोधी या देशद्रोह नहीं हो सकता है।
गहलोत ने कहा कि जनता की आवाज सुनने की बजाय उन्हें दबाने के मोदी सरकार के तरीके के कारण आज देशभर में किसान सडक़ों पर है। जब किसानों के समर्थन में राहुल गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में ट्रेक्टर यात्रा निकाली, तब भी केंद्र सरकार इसे गंभीरता से लेती तो आज ये नौबत ही नहीं आती।
मुख्यमंत्री गहलोत के भारत बंद वाले बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस समय भारत के बंद की नहीं, खुले होने की जरूरत है। विश्व में खुले मन से, खुला भारत, नया भारत तरक्की के रास्ते पर चले इस कार्य में सबके सहयोग की जरूरत है। पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी एवं खुद को किसानों का पक्षधर बताते हैं, लेकिन हकीकत यह है यह बेबुनियादी बातें हैं। राहुल गांधी और उनका पूरा खानदान पार्ट टाइम पॉलिटिक्स करता है, उनको किसानों से कोई सरोकार नहीं है और ना ही मुख्यमंत्री गहलोत को किसानों से कोई सरोकार है। उन्होंने कहा कि गहलोत आज तक इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि राजस्थान के किसानों की संपूर्ण कर्जामाफी कब होगी? यह बात राहुल गांधी ने ही प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में कही थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर 10 दिन में संपूर्ण किसान कर्जामाफी की जाएगी, लेकिन सरकार के 2 साल पूरे होने जा रहे हैं। आज तक संपूर्ण कर्जामाफी नहीं हुई है।
पूनियां ने कहा कि प्रदेश का किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है, इस बात का गहलोत जवाब नहीं दे पाए। गहलोत किसानों के सच्चे हितैषी हैं तो पहले प्रदेश के किसानों की सुध लें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों से सकारात्मक एवं सार्थक वार्ता की पहल कर रही है। पूरा भरोसा है कि आगामी दिनों में सकारात्मक एवं सुखद समाधान निकलेगा, क्योंकि तीनों कृषि कानून ना केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश की जनता के लिए कल्याणकारी हैं। इससे भारत की जनता एवं किसानों का भला होगा। (एजेंसी, हि.स.)
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