भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अध्यक्ष का चुनाव होगा। विधानसभा में बहुमत होने के कारण अध्यक्ष का पद भाजपा के खाते में ही जाएगा, लेकिन भाजपा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं देगी। यह संकेत गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, लेकिन कमलनाथ सरकार के दौरान यह पंरपरा तोड़ी गई। उस समय यह पद विपक्षी दल भाजपा को देने के बजाय सरकार ने अपने पास रखा था। अब कांग्रेस इस पद के लिए क्यों उम्मीद कर रही है? मध्य प्रदेश में ये परंपरा रही थी कि विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्षी दल को दिया जाता था, लेकिन कमलनाथ सरकार ने परंपरा तोड़ते हुए उपाध्यक्ष का पद भी सत्ता पक्ष के पास रखा। इस तरह से हिना कांवरे उपाध्यक्ष बनी थीं। अब प्रदेश में भाजपा सरकार है। संभावना ज्यादा है कि जैसा कमलनाथ सरकार ने किया था, ठीक वैसा ही शिवराज सरकार करेगी और उपाध्यक्ष का पद अपने पास ही रखेगी। उपचुनाव में 28 में से 19 सीटें जीतकर भाजपा 107 से 126 सीटों पर पहुंच गई, जो बहुमत के आंकड़े 115 से 11 सीटें ज्यादा हैं। ऐसे में साफ है कि उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा, तो यह पद भाजपा के खाते में ही जाएगा। इसी तरह, विधानसभा में कई समीतियों का पुनर्गठन भी होना है।
विध्य के खाते में जा सकता है अध्यक्ष पद
भाजपा में विधानसभा अध्यक्ष के लिए फिलहाल असमंजस बरकरार है। हालांकि सीएम हाउस में मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के बीच शुक्रवार को हुई बैठक में विंध्य के सीनियर विधायक को यह पद देने पर विचार हुआ। दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह पिछले कार्यकाल में अध्यक्ष रहे सीतासरन शर्मा एक बार फिर से अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं। उपाध्यक्ष पद किसे मिलेगा, फिलहाल इस पर अभी चर्चा नहीं हो पाई है।
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