भोपाल । देश में जनसंख्या पर निर्भर लोगों (14 साल या उससे कम और 65 साल से ज्यादा उम्र के) की तुलना में कामकाजी लोगों (15 से 64 साल उम्र के) की तादाद ज्यादा है। देश की जनसंख्या के आधे हिस्से की आयु 26 साल से कम है तथा 2020 में 29 साल की औसत आयु के साथ भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। आबादी के हिसाब में ऐसे बदलाव को ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ यानी जनांकिक लाभांश कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की परिभाषा के अनुसार, इससे आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं लेकिन यदि इस आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के साथ यदि एड्स जैसी लाइलाज बीमारों की संख्या बढ़ने लगे तो यह युवा पीढ़ी भी अपने देश की कुल जनसंख्या के लिए 14 साल या उससे कम और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की तरह ही एक जिम्मेदारी बन जाती है।
देश में एचआइवी मरीजों की जो स्थिति होगी, वह होगी लेकिन भारत के ह्दय प्रदेश में भी इस समय तेजी से एड्स रोगियों का ग्राफ बढ़ रहा है जो कहीं न कहीं शिवराज सरकार के चिंता का विषय जरूर है। मप्र में वर्ष 2005 से लेकर अक्टूबर 2020 तक एचआइवी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सर्वाधिक मरीज इंदौर में हैं। वहां 12773 मरीज मिले हैं। दूसरे नंबर पर भोपाल है, वहां पर 7006 मरीजों को उपचार दिया जा रहा है।
तीसरे नंबर पर जबलपुर में 6787 मरीज मिले हैं। चौथे नंबर पर ग्वालियर में 3882 मरीज हैं। पांचवे नंबर पर उज्जैन में 3843 तथा छठे नंबर पर रीवा में 3623 मरीजों का उपचार किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक इससे 69 हजार 400 लोग संक्रमित हुए हैं, हालांकि 7 करोड़ की जनसंख्या में यह आंकड़ा बहुत छोटा लगता है लेकिन इनके परिवार जन से लेकर जो बाहर के लोग इनसे जुड़े हैं और जो सीधे तौर पर इनसे प्रभावित हैं, यदि उनकी संख्या भी इनके साथ जोड़ ली जाए तो राज्य की क्रय शक्ति पर इसका किताना अधिक प्रभाव पड़ रहा है यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रदेश की राजधानी इंदौर में हैं सबसे अधिक एड्स संक्रमित
इस संबंध में प्रोजेक्ट डायरेक्टर, मप्र राज्य एड्स नियंत्रण समिति डॉ. केडी त्रिपाठी का कहना है कि मप्र में एड्स संक्रमण दर राज्य की आर्थिक राजधानी इंदौर में सबसे अधिक है। यहां 2005 से अब तक जांचे गए सैंपलों में 1.64 संक्रमित मिले हैं। इसके बाद बुरहानपुर एचआइवी संक्रमितों के मामले में दूसरे नंबर पर है। यहां सैंपल में 1.35 फीसद संक्रमित मिले हैं। वहीं, प्रदेश उमरिया एक ऐसा जिला भी है, जिसमें एक भी एड्स मरीज नहीं हैं। एचआइवी संक्रमितों में सबसे अधिक 68 फीसद 25 से 49 साल की उम्र के हैं। 25 से 34 साल के 34 फीसदी, 35 से 49 साल के 35 फीसद हैं।
पिछले 02 साल में भोपाल में आए सबसे अधिक संक्रमित
मप्र स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के अन्य अधिकारियों में संयुक्त संचालक सविता ठाकुर ने पिछले दो साल के आंकड़े देते हुए बताया कि यदि हम यहां दो साल के आंकड़ों का योग देखें तो राज्य की राजधानी में एचआईवी संक्रमित इंदौर से भी अधिक हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 116640 टेस्ट किए गए थे, जिसमें कि 689 संक्रमित पाए गए थे, इस वर्ष 53036 के हुए एचआईवी टेस्ट रिजल्ट में 338 पॉजिटिव आए हैं। जबकि इंदौर में गत वर्ष 75177 टेस्ट हुए और 701 संक्रमित मिले और इस वर्ष अब तक 38951 में से 318 संक्रमित मिले हैं। इस तरह देखें तो इंदौर से अधिक भोपाल में एड्स रोगियों की संख्या दो वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा सामने आई है।
उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि अभी स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर 62 वृहद व 06 नई परियोजनाओं पर हम काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य वर्ष 2030 तक एड्स को पूरी तरह से समाप्त करना है। उनका कहना यह भी था कि जितने अधिक लोग एचआइवी टेस्ट कराएंगे, उतना ही अधिक यह पता चल सकेगा कि संक्रमण कुल आबादी में कितने प्रतिशत फैल चुका है। ऐसे में इसे कंट्रोल करना आसान होगा।
सुचिता का पालन नहीं करनेवालों का अमर्यादित व्यवहार एड्स के लिए जिम्मेदार
उधर, एनजीओ एवं सेवा क्षेत्र से जुड़े मृत्युंजय भारत ट्रस्ट चला रहे दवे दम्पत्ति में डॉ. धरा पाण्डेय का कहना है कि समाज में विकृति तभी आती है, जब उस पर लम्बे समय तक ध्यान नहीं दिया जाए। एचआईवी वास्तव में भारत जैसे आध्यात्मिक देश की बीमारी नहीं, यह पाश्चात्य की देन है। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में ही क्यों देश के किसी भी शहर या कोने में यह जो फैल रहा है, उसका मुख्य कारण हमारी जीवन शैली का परिवर्तन एवं फीमेल सेक्स वर्कर के अलावा इंजेक्शन से नशीली दवाएं लेने वाले व सुचिता का पालन नहीं करनेवालों का अमर्यादित व्यवहार है। जोकि देश में आज हर जगह पाया जाने लगा है। वहीं, निखिल दवे का कहना है, जैसे पोलियो समाप्ति को लेकर घर-घर जागरण चलाया गया और अब हम देख भी रहे हैं कि भारत से पोलियो लगभग समाप्त हो चुका है, ऐसा ही अभियान हमें एड्स को लेकर भी लेना होगा, तभी भारत सरकार वर्ष 2030 तक इसे समाप्त कर पाएगी।
प्रदेश में इस वर्ष के ये हैं एचआइवी आंकड़े
इस साल मध्य प्रदेश में जिलावार देखें तो आगर मालवा में 4432 टेस्ट हुए और 05 संक्रमित मिले हैं। अलीराजपुर में 7070 टेस्ट में से 04 पॉजिटिव मिले। अनूपपुर में 9513 टेस्ट में 41 मरीज मिले हैं। अशोक नगर टेस्ट-6680 मरीज-40, बालाघाट टेस्ट-23074-मरीज 59-, बड़वानी टेस्ट 8432-मरीज-68, बैतूल-टेस्ट 12466- मरीज 45, भिण्ड-टेस्ट-9806 मरीज 57, भोपाल-टेस्ट 53036- मरीज 338, बुरहानपुर-टेस्ट 8687- मरीज 37, छतरपुर-टेस्ट 8970- मरीज 21, छिंदवाड़ा-टेस्ट 14882- मरीज 46, दमोह-टेस्ट 15532- मरीज 21, दतिया-टेस्ट 9272- मरीज 10, देवास-टेस्ट 19890- मरीज 44, धार-टेस्ट 23837- मरीज 67, डिंडोरी-टेस्ट 4438- मरीज 13, गुना-टेस्ट 9529- मरीज 67, ग्वालियर-टेस्ट 21212- मरीज 180, हरदा-टेस्ट 5313- मरीज 10, होशंगाबाद-टेस्ट 10836- मरीज 42, इंदौर-टेस्ट 38951- मरीज 318, जबलपुर-टेस्ट 45789- मरीज 282 हैं।
इसी तरह झाबुआ-टेस्ट 8518- मरीज 30, कटनी-टेस्ट 17787- मरीज 32, खण्डवा-टेस्ट 9879- मरीज 50, खरगौर-टेस्ट 23420- मरीज 50, मण्डला-टेस्ट 5611- मरीज 60, मंदसौर-टेस्ट 19676- मरीज 90, मुरैना-टेस्ट 6320- मरीज 56, नरसिंहपुर-टेस्ट 9389- मरीज 30, नीमच-टेस्ट 12175- मरीज 62, पन्ना-टेस्ट 15172- मरीज 11, रायसेन-टेस्ट 13148- मरीज 36, राजगढ़-टेस्ट 3707- मरीज 28, रतलाम-टेस्ट 13817- मरीज 97, रीवा-टेस्ट 39293- मरीज 141, सागर-टेस्ट 19791- मरीज 95, सतना-टेस्ट 21042- मरीज 41, सीहोर-टेस्ट 16926 – मरीज 43, सिवनी-टेस्ट 17720- मरीज 57, शहडोल-टेस्ट 6809- मरीज 55, शाजापुर-टेस्ट 9620- मरीज 28, श्योपुर कलॉ-टेस्ट 4840- मरीज 42, शिवपुरी-टेस्ट 22890- मरीज 74, सीधी-टेस्ट 8916- मरीज 21, सिंगरौली-टेस्ट 7953- मरीज 50, टीकमगढ़-टेस्ट 14575- मरीज 08, उज्जैन-टेस्ट 40182- मरीज 174, उमरिया-टेस्ट 3432- मरीज-0, विदिशा-टेस्ट 11507 और मरीज संख्या 48 है।
राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के द्वारा यहां बताया गया है कि वर्ष 2019 में शासन ने 1332823 लोगों के सैंपल लिए थे जिसमें से कुल 5946 एचआइवी संक्रमित पाए गए थे। इसी तरह से इस वर्ष में अक्टूबर तक 775762 सैंपल लिए गए जिसमें कि 3324 एड्स संक्रमित मिले हैं। यहां सोसायटी की ओर से बताया गया कि अभी इस माह के आंकड़े आना शेष हैं।
राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के उप संचालक प्रशान्त मलैया, डॉ. अंकिता पाटिल और डॉ. टीडी भकोरिया का साफ तौर पर कहना है कि जिस तरह से इस कोरोना समय में भी एड्स की जागरुकता को लेकर प्रदेश में कार्य हो रहा है, यह उसका ही नतीजा है कि पिछले साल की तुलना में अभी संक्रमितों की संख्या में कमी आई है। सरकार का इसकी समाप्ति को लेकर जो लक्ष्य है यदि हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो जरूर आगामी 10 वर्षों में एचआइवी से हमेशा के लिए मुक्ति पा लेंगे। (एजेंसी/हि.स.)
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