नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को किसानों और कांग्रेस पार्टी ने काला कानून बताया है। कांग्रेस पार्टी ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर खेती हड़पने वाले तीन काले कानूनों को सही बता किसानों के साथ षड़यंत्र करने का आरोप भी लगाया है। प्रमुख विपक्षी पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार खेती को ‘गुलामी की जंजीरों’ मे जकड़ने का षड़यंत्र रचने का काम कर रही है। इसी के तहत अन्नदाता किसानों को ‘आतंकी’ बताकर उऩके खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज कराई गई, उन पर लाठी भांजने के साथ अश्रु गैस और वाटर कैनन तक का इस्तेमाल किया गया। हालांकि कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है और अब भाजपा सरकार किसानों के दमन के षड़यंत्र में सफल नहीं होगी।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि खेती हड़पने के तीन काले कानूनों को सही बताकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के साथ षड़यंत्र कर रहे हैं। केंद्र के इन तीन कानूनों ने मोदी सरकार के मुखौटे को भी उतार दिया है। उऩ्होंने कहा कि असल में मोदी सरकार का मूल मंत्र ‘किसानों का शोषण, पूंजीपतियों का पोषण.. किसानों का दमन, पूंजीपतियों को नमन..’ है। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के कथन को कोट करते हुए कहा, “जो कानून तुम्हारे अधिकारों की रक्षा न कर सके उसकी अवहेलना करना तुम्हारा परम कर्तव्य हैं।” आज कांग्रेस पार्टी भी बापू के इन्हीं बातों का अनुशरण कर रही है औऱ किसानों के साथ खड़ी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी जी ने देवी अन्नपूर्णा की बात की। क्या देवी अन्नपूर्णा दिल्ली के चारों ओर लाखों की संख्या में बैठे अपने बच्चों यानि कराहते हुए किसानो की दुर्दशा देख खुश होंगी या दुखी? क्या मोदी जी ने इस बारे भी सोचा? आज देश के प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश में आंदोलनरत किसानों का अपमान करते हुए कृषि विरोधी काले कानूनों को सही बता दिया। जब देश का प्रधानमंत्री ही 62 करोड़ किसानों की बात सुनने के बजाय पूंजीपतियों के पोषण के तीन खेती विरोधी काले कानूनों को सही बताए, तो न्याय कौन देगा? इतना ही नहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों को ‘आतंकी’ बताते हैं। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री किसानों को “गुंडा’ कहते हैं। क्या प्रधानमंत्री जी को यह बातें सुनाई नहीं देती?
केंद्र की मोदी सरकार पर खेती हड़पने का आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जताने दिल्ली आ रहे किसानों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज कराना किस तरह से किसानों के प्रति सरकार की हमदर्दी को जताता है। सच्चाई यह है कि मुट्ठी भर पूंजीपतियों के पैर पूजने वाली मोदी सरकार 20-25 लाख करोड़ का खेती उपज का कारोबार 62 करोड़ किसानों, मजदूरों, आढ़तियों, कामगारों से छीनकर मुट्ठीभर पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। किसान सिर्फ कुछ सवालों के जवाब चाहते हैं कि अगर अनाज मंडिया खत्म हो जाएंगी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसान का अनाज खरीदेगा कौन? क्या मोदी सरकार व फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ से फसल खरीदने जाएंगे? सवाल यह भी है कि अगर कोई समर्थन मूल्य नहीं देगा तो फिर एमएसपी कैसे मिलेगा? इन नये कानून से जमाखोरों को खुली छूट मिलेगी। ऐसे में ‘एक देश, एक बाज़ार’ की बात सफ़ेद झूठ साबित होगी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी सवाल उठाया कि जब समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदा ही नहीं जाएगा तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 86 करोड़ लोगों को अनाज कैसे मिलेगा? वहीं अनाज मंडिया खत्म होने पर लाखों मंडियों के कर्मचारी, हम्माल, छोटे आढ़ती, सभी का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ खेत-मज़दूर और खेतों को बटाई पर लेने वाले करोड़ों लोगों का इस कानून में ज़िक्र तक नहीं है। उनके साथ ये बड़ा धोखा है। (एजेंसी, हि.स.)
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