भोपाल। 30 नवंबर को चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उसकी उपच्छाया पड़ेगी। चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आएगी। जिससे चंद्रमा की छवि धूमिल दिखाई देगी। कोई भी चंद्रग्रहण जब भी आरंभ होता है, तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है, जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है, वह उपच्छाया ग्रहण कहलाता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि चंद्रग्रहण 30 नवंबर दोपहर 1:04 बजे शुरू होगा और 30 नवंबर शाम 5:22 बजे तक रहेगा। जबकि यह ग्रहण उपच्छाया ग्रहण है। इस ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। शुद्धिकरण आदि की जरूरत नहीं होगी, सभी शुभ कार्य किए जा सकेंगे। यह इस वर्ष (2020) का चौथा व अंतिम चंद्रग्रहण है। इससे पहले 10 जनवरी, 5 जून व 5 जुलाई को भी यह ग्रहण लग चुके हैं। ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय का कहना है कि उपच्छाया ग्रहण होने के कारण गर्भवतियों पर यूं तो कोई असर नहीं होगा, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से गर्भवती को चंद्र ग्रहण के समय तमाम नियमों का पालन करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के समय जातकों के मन पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है। चंद्र ग्रहण का असर ग्रहण से पांच दिन पूर्व से प्रारंभ हो जाता है, और पांच दिन बाद तक रहता है। इन 10 दिनों में सभी राशियों पर शुभ व अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे, लेकिन चार राशियों (वृषभ, मिथुन कन्या व धनु) पर सबसे अधिक प्रभाव रहेगा। साल का आखिरी चंद्रग्रहण वृषभ राशि में लगेगा। जिस वजह से इस राशि के जातकों पर सबसे ज्यादा प्रभाव होगा।
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