काठमांडू। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समक्ष आरोपों पर अपना जवाब पेश किया। उन्होंने पार्टी से विचार-विमर्श के बगैर मनमाने ढंग से सरकार चलाने के आरोप को खारिज कर दिया है। कहा है कि वह सहमति बनाकर फैसले लेते हैं। ओली ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड पर उल्टा आरोप लगाते हुए कहा कि उन सहित कुछ वरिष्ठ नेता पार्टी चलाने में उनके साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। ओली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख भी हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय सचिव मंडल की बैठक शनिवार को काठमांडू में हुई। बैठक में प्रधानमंत्री ओली ने प्रचंड के आरोपों के जवाब में 38 पेज का राजनीतिक दस्तावेज पेश किया। ओली ने यह जवाब प्रचंड द्वारा 18 नवंबर की बैठक में रखे गए 19 पेज के राजनीतिक पत्र के जवाब में दिया है जिसमें उन पर आरोप लगाए गए थे। पत्र में कहा गया था कि ओली पार्टी से विचार-विमर्श के बगैर सरकार चला रहे हैं। वह भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा पूरा करने में भी विफल रहे हैं। ओली ने अपने जवाब में पार्टी से संबंधित मामलों को देखने में प्रचंड के सहयोग न करने का आरोप लगाया।
पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा, सचिव मंडल की बैठक प्रधानमंत्री के बालूवाटर स्थित सरकारी आवास पर हुई थी। अगली बैठक एक दिसंबर को धुंबाराही स्थित पार्टी मुख्यालय में होगी। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में अंतर्कलह एक व्यक्ति-एक पद की मांग उठने के बाद तेज हुई है। प्रचंड समेत कई वरिष्ठ नेता ओली से प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष में से एक पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं, जबकि ओली इस मांग को खारिज कर रहे हैं। ओली जवाब में प्रचंड और उनके साथी नेताओं को घेर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड और उनके साथियों की मांग है कि ओली प्रधानमंत्री या पार्टी प्रमुख में से एक पद छोड़ें और पार्टी में एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत लागू करें। हालांकि ओली यह मांग मानने को तैयार नहीं हैं। दोनों खेमों के बीच विवाद की मुख्य वजह यही है। हाल के दिनों सचिव मंडल के नौ में से पांच सदस्य- प्रचंड, माधव नेपाल, झालनाथ खनाल, वामदेव गौतम और नारायण काजी श्रेष्ठ प्रस्तावित बैठक कराने के लिए दबाव बनाए हुए थे लेकिन ओली ने यह बैठक स्थगित कर दी थी।
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