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    कौन था वह ‘सीक्रेट साइंटिस्ट’ जिसकी हत्या से हिल गया है ईरान?

  • November 28, 2020

    तेहरान। ईरान के चीफ न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह (Mohsen Fakhrizadeh) की हत्या ने देश को बुरी तरह हिला दिया है। यहां तक कि देश के सुप्रीम लीडर अयातोल्ला अल खमनेई के मिलिट्री अडवाइजर होसेन देहगान ने हत्या का बदला लेने की प्रतिज्ञा कर ली है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इसके दोषियों पर बिजली बनकर कहर बरपाया जाएगा। ऐसे में सवाल है कि आखिर फखरीजादेह तेहरान के लिए इतने अहम क्यों थे?

    फखरीजादेह को पश्चिमी और इजरायली खुफिया एजेंसियां 2003 में बंद किए देश के परमाणु बम प्रोग्राम ‘अमाद’ का सीक्रेट लीडर मानती आई हैं। ईरान पर आरोप लगते रहते हैं कि वह इस प्रोग्राम को दोबारा शुरू करने की कोशिश कर रहा है जबकि ईरान ने परमाणु ऊर्जा से हथियार बनाने के आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि वह परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

    ईरान का यह प्रोग्राम इतना खुफिया है कि फखरीजादेह की शाद ही कोई पब्लिक प्रोफाइल रही हो। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र वॉचडॉग और अमेरिकी खुफिया एजेंसियां उन्हें ईरान के परमाणु प्रोग्राम का मुखिया ही मानती हैं। वह अकेले ऐसे ईरानी साइंटिस्ट थे जिनका नाम इंटरनैशनल अटॉमिक एनर्जी एजेंसी के 2015 फाइनल असेसमेंट में था। इसमें ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर खुले तौर पर सवाल किए गए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि फखरीजादेह ऐसी गतिविधियां देख रहे थे जो ईरान के परमाणु प्रोग्राम को सैन्य आयाम के समर्थन में थीं।

    2018 में ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप लगाते हुए एक प्रेजेंटेशन के दौरान नेतन्याहू ने फखरीजदेह का प्रमुखता से जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- ‘इस नाम को याद रखिएगा, फखरीजदेह।’ नेतन्याहू ने बताया था कि उनके हाथ इससे जुड़े हजारों दस्तावेज लगे हैं जिन्हें उन्होंने ईरान का ‘अटॉमिक आर्काइव’ बताया था।

    इजरायल ईरान को अपने लिए संकट मानता है और उसने हमेशा ईरान के परमाणु हथियारों से लैस होने का विरोध किया है। उसके नेताओं के लिए ईरान का मध्यपूर्व में विस्तार चिंता का कारण रहा है। यही कारण है कि इजरायल ईरान के परमाणु प्रोग्राम और फखरीजादेह पर नजर रखता आया है।

    इस्लामिक रेवलूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ऑफिसर फखरीजादेह ऐसी कई न्यूक्लियर रिसर्च और डिवेलपमेंट कोशिशों के इंचार्ज रहे जिन्हें ईरान शांतिपूर्ण नागरिक सेवाओं के प्रति समर्पित बताता रहा। अमेरिका और इजरायल की सरकारों ने इन प्रोग्राम्स को दोहरा बताया और दावा किया कि इनका मकसद परमाणु हथियार विकसित करना था। रिपोर्ट्स के मुताबिक फखरीजादेह ऑर्गनाइजेशन ऑफ डिफेंसिव इनोवेशन ऐंड रिसर्च के हेड भी थे जिस पर अमेरिका ने परमाणु हथियारों से जुड़ा होने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगा दिया था।

    फखरीजादेह पर इजरायल के साथ-साथ अमेरिका की भी निगाहें थीं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मोसाद एक्सपर्ट योसी मेलमन के पोस्ट को शेयर किया है जिसमें उन्होंने हत्या को ‘ईरान के लिए मनोवैज्ञानिक और प्रफेशनल झटका’ बताया है। ट्रंप प्रशासन में पेंटागन के सीनियर अधिकारी रह चुके माइकल मुलरॉय ने कहा है कि फखरीजादेह की बत्या से ईरान के परमाणु प्रोग्राम को झटका लगेगा।

    उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे देशों में अलर्ट जारी कर देना चाहिए जहां ईरान जवाबी कार्रवाई कर सकता हो। अमेरिका की खुफिया एजेंसी (CIA) के पूर्व हेड जॉन ब्रेनन ने घटना को आपराधिक और लापरवाह बताया है जिससे क्षेत्र में तनाव पैदा हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे घातक प्रतिक्रिया का खतरा पैदा हो गया है।

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