गाड़ी के नंबर से शिनाख्त हुई मुजरिम की, डॉक्टर के बयान भी अहम रहे
इंदौर। पांच सौ रुपए की लूट में एक मुजरिम को 7 साल की कैद हो गई। उसके खिलाफ घटना के चश्मदीद गवाह बने डॉक्टर ने भी गवाही दी थी।
सूत्रों के अनुसार हेमा रघुवंशी पलासिया स्थित ओणम प्लाजा में जॉब करती है। वह 28 जुलाई 2016 की शाम साढ़े छह बजे पैदल घर जा रही थी। तभी पंचदीप भवन परिसर के पास एक्टिवा (एमपी09-एसएम-3595) पर सवार पंकज पिता श्रीचंद चंदानी (19) निवासी विजयनगर आया और हेमा के हाथ में मौजूद बैग छीनने लगा। हेमा ने विरोध किया तो उसने धारदार हथियार से हाथ की कलाई व अंगूठे पर वार किया और बैग लेकर रफूचक्कर हो गया, जिसमें पांच सौ रुपए थे। यह घटना डॉक्टर प्रशांत विसे ने भी देखी और वह हेमा को लेकर अस्पताल जा रहे थे तो घायल युवती के पिता सुरेश रघुवंशी दिखे। इसके बाद पिता ने हीरानगर थाने में चोट पहुंचाने व लूट के मामले में रिपोर्ट लिखाई थी। गाड़ी नंबर के आधार पर पुलिस ने पंकज व उसकी 24 वर्षीय बहन शिल्पा को भी लूट के लिए उकसाने के जुर्म में मुलजिम बनाया था। मामला करीब चार साल तक कोर्ट में चला। इस दौरान मुलजिम की ओर से बचाव लिया गया कि उसके खिलाफ नामजद रिपोर्ट नहीं थी और एफआईआर भी साढ़े चार घंटे देरी से कराई गई थी, लेकिन घायल युवती ने गाड़ी के नंबर पुलिस को बताए थे और फिर मुलजिम की शिनाख्त की थी। वहीं डॉक्टर ने भी उसके सामने लूट होने के बयान कोर्ट में दिए थे। इसके आधार पर जज विवेक सक्सेना ने पंकज को लूट के जुर्म में गुनहगार करार देकर सात साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई एवं जेल भेज दिया। साथ ही आदेश दिए कि जुर्माने की रकम चुकाने की दशा में उनमें से सात हजार रुपए पीडि़ता को मुआवजे के तौर पर दिए जाएं। मामले में शिल्पा द्वारा लूट के लिए उकसाना साबित नहीं होने से उसे छोड़ दिया गया। पुलिस ने उससे पांच सौ रुपए जब्त होने बताए थे।
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