नई दिल्ली। कोरोना वायरस की चार-चार वैक्सीन (Pfizer, Moderna, AstraZeneca और Sputnik V) का अंतरिम एफेकसी डेटा (efficacy data) सामने आ चुका है। ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जहां ओवरऑल 70.4% असरदार रही, वहीं बाकी तीनों का सक्सेस रेज 94% से ज्यादा है। ऑक्सफर्ड का टीका भी खास डोज पैटर्न पर 90% तक असर करता है। रूसी वैक्सीन को छोड़कर बाकी सभी वैक्सीन अब रेगुलेटर्स के पास इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए जाएंगी। वैक्सीन के अगले साल की शुरुआत में उपलब्ध होने की संभावना प्रबल हो गई है। भारत सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा लगभग बना ली है। प्राथमिकता के आधार पर टीका किन्हें और कैसे दिया जाए, इसका पूरा खाका खींचा जा रहा है।
भारत में प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजंस को वैक्सीन देने की तैयारी है। इस हाई प्रॉयरिटी ग्रुप में जो भी लोग शामिल होंगे, उन्हें SMS के जरिए टीकाकरण की तारीख, समय और जगह बता दी जाएगी। मेसेज में टीका देने वाली संस्था/हेल्थ वर्कर का नाम भी होगा। पहली डोज दिए जाने के बाद, दूसरी डोज के लिए SMS भेजा जाएगा। जब टीकाकरण पूरा हो जाएगा तो डिजिटल QR आधारित एक सर्टिफिकेकट भी जेनरेट होगा जो वैक्सीन लगने का सबूत होगा। एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाया जा रहा है जिसके जरिए कोविड टीकों के स्टॉक और डिस्ट्रीब्यूशन/वैक्सीनेशन को ट्रैक किया जाएगा। सरकार क्रमबद्ध तरीके से टीकाकरण में आगे बढ़ेगी।
कोरोना वैक्सीन लग जाने के बाद सरकार लोगों की मॉनिटरिंग करेगी। ऐसा इसलिए ताकि वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर लोगों में भरोसा बढ़ सके। टीकाकरण को लेकर अलग-अलग तबकों में तरह-तरह की भ्रांतियां रहती हैं, इसलिए सरकार पहले से ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाने के लिए कह चुके है। इसके अलावा वैक्सीन के किसी प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए भी तैयार रहने को कहा गया है। राज्यों से एडर्नालाइन इंजेक्शन का पर्याप्त स्टॉक मेंटेन रखने को कहा गया है ताकि किसी एलर्जिक रिएक्शन की स्थिति में लोगों को वह लगाया जा सके।
भारत का दम देखने आ रहे दुनियाभर के राजदूत
वैक्सीन के इमर्जेंसी अप्रूवल में अब महीने भर से ज्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए। ऐसे में उत्पादन के रास्ते तलाशें जा रहे हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है इसलिए उसकी इसमें बड़ी अहम भूमिका होगी। रूस, ऑस्ट्रेलिया समेत 20 से भी ज्यादा देशों के राजदूत आने वाले हैं, यह देखने कि भारतीय कंपनियां कितनी डोज कितने वक्त में तैयार कर सकती हैं। सरकार कोविड वैक्सीन को एक डिप्लोमेसी टूल की तरह इस्तेमाल करना चाहती है। यह सभी राजदूत 27 नवंबर को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और जेनोवा फार्मास्यूटिकल्स की फैसिलिटीज का दौरा करेंगे।
पीएम मोदी ने वैक्सीन पर दिए ताजा अपडेट्स
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों संग बैठक में कोरोना वैक्सीन पर विस्तार से बात की थी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन कब आएगी, यह वैज्ञानिकों के हाथ में है। पीएम ने साफ किया कि कोरोना टीकाकरण का अभियान लंबा चलने वाला है। वैक्सीन को लेकर जो प्रमुख बातें कहीं, वो इस प्रकार हैं:
कौन सी वैक्सीन कितनी कीमत में आएगी, यह तय नहीं है।
भारत अपने नागरिकों को जो भी वैक्सीन देगा, वह हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी।
वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए राज्यों के साथ मिलकर की तैयारी जा रही है।
वैक्सीन का एक विस्तृत प्लान जल्द ही राज्यों से साझा कर दिया जाएगा।
कोरोना वैक्सीन को लेकर निर्णय वैज्ञानिक तराजू पर ही तौला जाना चाहिए। हम कोई वैज्ञानिक नहीं हैं। हमें व्यवस्था के तहत चीजों को स्वीकार करना पड़ेगा। हमें इन चीजों को वैश्विक संदर्भ में देखना पड़ेगा।
अमेरिकी वैक्सीन से सस्ती होगी रूस की Sputnik V
रूसी कोरोना वैक्सीन Sputnik V का एफेकसी डेटा मंगलवार को जारी कर दिया गया। वैक्सीन 95% तक असरदार मिली है। यह वैक्सीन करीब 20 डॉलर में उपलब्ध होगी जो अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले कम कीमत है। वैक्सीन दो तरह के तापमान पर रखी जा सकती है। लिक्विड वैक्सीन को -18 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत पड़ती है जबकि फ्रीज-ड्राई वैक्सीन को 2 से -8 डिग्री के बीच रखना पड़ता है। कई भारतीय कंपनियां इस वैक्सीन की डोज बनाएंगी। रिसर्चर्स के अनुसार, यह वैक्सीन इंसानी एडेनोवायरस के दो अलग-अलग वेक्टर्स का इस्तेमाल करती है जिसके चलते इसे मजबूत और लंबा इम्युन रेस्पांस देने की काबिलियत मिलती है।
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