नई दिल्ली। कोरोना की वैक्सीन आने से पहले ही दुनिया के तमाम अमीर देशों ने उसकी जमाखोरी शुरू कर दी है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने प्रति व्यक्ति पांच-पांच डोज तक वैक्सीन की प्री बुकिंग करा रखी है। इस बात को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी नाराज है। डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनैम गेब्रेसस ने कहा कि वैक्सीन राष्ट्रवाद इस वैश्विक महामारी को कम नहीं करेगा बल्कि इसको और फैलाएगा।
बता दें कि अमीर देशों की आबादी दुनिया की 13 फीसदी है, लेकिन वे वैक्सीन की 50 फीसदी से ज्यादा डोज की प्री बुकिंग कर चुके हैं। वैक्सीन डोज को लेकर बड़े देशों के इस रवैये की कीमत अन्य देशों को चुकानी पड़ सकती है।
अमेरिका ने 2400 मिलियन डोज, यूरोपीय संघ ने 2065 मिलियन डोज, ब्रिटेन ने 380 मिलियन डोज, कनाडा ने 338 मिलियन डोज, इंडोनेशिया ने 328 मिलियन डोज, चीन ने 300 मिलियन डोज और जापान ने 290 मिलियन डोज की प्री बुकिंग कर रखी है। जबकि दुनिया के गरीब देशों के लिए ये डोज 3200 मिलियन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी लगता है कि वैक्सीन डोज की कालाबाजारी मुश्किलों को बढ़ाएगी। डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनैम गेब्रेसस ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि मैं एक बात साफ कर दूं कि वैक्सीन राष्ट्रवाद इस वैश्विक महामारी को कम नहीं करेगा बल्कि इसको और फैलाएगा। अगर इसी तरह से कोरोना की वैक्सीन थोड़े से संपन्न देशों की मुट्ठी में रहेगी तो दुनिया के दूसरे देशों में त्राहिमाम मचेगा।
कोरोना पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन की दो डोज किसी एक शख्स के इलाज और बचाव के लिए काफी है, लेकिन दुनिया के कुछ संपन्न देशों ने तो पांच-पांच डोज तक की प्री बुकिंग कर रखी है। ब्रिटेन ने प्रति व्यक्ति 5 से ज्यादा डोज, अमेरिका ने 4.88 और यूरोपीय संघ के देशों ने 3.33 डोज की प्री बुकिंग कर रखी है।
अभी कोरोना की वैक्सीन आने की कोई पक्की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन उसकी होर्डिंग की बड़े देशों की तैयारी एक खतरनाक लक्षण है। दुनिया की जो बड़ी-बड़ी कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बना रही हैं, उन्होंने करीब-करीब दाम भी तय कर रखे हैं। मॉडर्ना की वैक्सीन की प्रति डोज कीमत 2800 रुपये है। वहीं फाइजर की 3000 रुपये,ऑक्सफोर्ड की 225 रुपये और सीरम इंस्टीट्यूट की करीब 240 रुपये है।
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