भोपाल। हाईकोर्ट के निर्देश पर डीजीपी विवेक जौहरी ने प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस अधीक्षकों को जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। इससे गघटनाओं की सही और तथ्यात्मक जानकारी मीडिया को मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि संदेही और फरियादी की फोटो पुलिस द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाए। इसके साथ ही गिरफ्तार आरोपित का फोटो लेने का अवसर भी मीडिया को पुलिस द्वारा नहीं दिया जाए। पुलिस अधीक्षक के अनुमोदन के बाद नियुक्त पीआरओ ही मीडिया से बात कर सकेंगे। इसके साथ ही एफआइआर दर्ज होने पर, आरोपितों की गिरफ्तारी पर, आरोप पत्र पेश करने के दौरान और न्यायालय से फैसला आने पर मीडिया को घटना के बारे में जानकारी दी जा सकेगी। डीजीपी ने सख्ती से निर्देश दिए हैं कि किसी भी हालत में आरोपित समेत फरियादी के मानवाधिकार और निजता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। आरोपित को चेहरा ढककर भी मीडिया के सामने पेश नहीं करें। अधिकारी मीडिया के सामने घटना की जानकारी देने के दौरान खुद का मत या किसी निर्णय को देने से बचें। ऐसी कोई भी जानकारी मीडिया से साझा नहीं की जाए जिसका फायदा आरोपितों को मिले। खासकर आधुनिक तकनीक के उपयोग की जानकारी नहीं दी जाए। राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली जानकारी भी मीडिया को नहीं दी जाए। गौरतलब है कि ग्वालियर हाईकोर्ट में अरुण शर्मा ने याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आरोपितों की फोटो मीडिया के सामने जारी करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। साथ ही डीजीपी के जनवरी 2014 में जारी किए उस पत्र पर भी रोक लगा दी थी जिसमें आरोपितों की फोटो प्रकाशित करने की अनुमति दी गई थी।
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