रेड्डी तक पहुंचेगी जांच?
भो पाल में इवेंट और पब्लिसिटी कंपनियों पर पड़े आयकर छापे की आंच पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी तक पहुंचेगी या नहीं, इसे लेकर मंत्रालय में चर्चा गरम है। अधिकांश अफसरों का मानना है कि भोपाल से दिल्ली तक भाजपा के निशाने पर गोपाल रेड्डी आ चुके हैं। आयकर छापों के पीछे भी रेड्डी को घेरने की मंशा बताई जा रही है। यह बात दूसरी है कि रेड्डी 10 नवंबर का इंतजार कर रहे हैं। उपचुनाव के परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में हुए तो वे अपना बोरिया बिस्तर लेकर आंध्रप्रदेश रवाना हो जाएंगे। आखिर रेड्डी भाजपा के निशाने पर क्यों है इसे लेकर भी अटकलें तेज हैं। भाजपा को आशंका है कि उपचुनाव में कांग्रेस की फंडिंग में रेड्डी की अहम भूमिका रही है। यही कारण है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने चुनाव के बीच में रेड्डी का नाम लेकर उन पर हमला बोला था।
कमलनाथ की चुप्पी
म प्र के अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ चुप्पी साधे रहते हैं। कमलनाथ की चुप्पी से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता स्वयं को असहज महसूस करते हैं। दूसरी ओर मध्यप्रदेश में कोई भी मुद्दा हो दिग्विजय सिंह सबसे पहले बयान भी देते हैं और मैदान में भी उतरते हैं। ताजा तीन उदाहरण सामने हैं। उपचुनाव की वोटिंग के बाद भोपाल प्रशासन ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद का कॉलेज तोड़ा तो कमलनाथ चुप रहे लेकिन दिग्विजय सिंह मसूद के साथ खड़े नजर आए। इसी तरह इंदौर जिला प्रशासन ने कम्प्यूटर बाबा के आश्रम को तहस-नहस किया तब भी कमलनात ने चुप्पी साधे रखी और दिग्विजय सिंह न केवल निंदा की बल्कि कम्प्यूटर बाबा से मिलने इंदौर जाने का कार्यक्रम भी बना लिया लेकिन जा नहीं पाए।
निर्दलियों की तमन्ना है कि…
म प्र के चारों निर्दलीय विधायकों की तमन्ना है कि उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही स्पष्ट बहुमत न मिले। इसी से उनका भाग्य चेतेगा। दरअसल चार में से एक विधायक जोड़-तोड़ में माहिर है तो वे कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रहे और भाजपा सरकार ने भी उन्हें मंत्री बना रखा है। तीन विधायक मंत्री बनने के लिए कभी कांग्रेस में तो भाजपा में उछल कूंद करते रहते हैं। निर्दलीय विधायकों को आशंका है कि यदि उपचुनाव में भाजपा को 15 से अधिक सीटें मिलीं तो इन विधायकों का महत्व खत्म हो जाएगा और मंत्री बनने का चांस भी हाथ से निकल जाएगा। निर्दलियों के साथ-साथ बसपा के 2 और सपा के इकलौते विधायक भी ऐसी ही तमन्ना लिए हुए दिखाई देते हैं।
हिन्दू लड़कियों की खातिर
म प्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की घोषणा कर दी है। लेकिन खबर आ रही है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मुस्लिम लड़कों से हिन्दू लड़कियों को बचाने की एक बड़ी योजना तैयार की है। भाजपा शासित राज्यों में स्कूल, कालेज के अलावा हुक्काबार, जिम और मीडिया तीन ऐसे क्षेत्र चयनित किए गए हैं जहां संघ को आशंका है कि मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करते हैं। संघ, जिला प्रशासन एवं हिन्दू संगठनों के साथ मिलकर इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखने और इन्हें रोकने के लिए कार्य योजना तैयार कर रहा है।
जल्द उतरेगा ईमानदारी का नकाब
म प्र के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के चेहरे से ईमानदारी का नकाब जल्दी उतरने वाला है। खबर आ रही है कि इस अधिकारी ने बड़े तरीके से रिश्वत को कई खातों में घुमा फिराकर लेकर विदेश में अपने निकट रिश्तेदार तक पहुंचाई है। इन जूनियर आईएएस पहले ही इसकी शिकायत पुलिस और सामान्य प्रशासन विभाग को कर चुका था, लेकिन वरिष्ठ आईएएस के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले थे। अब बताया जाता है कि बहुत जल्द ही प्रमाणों के साथ यह जानकारी सार्वजनिक होने वाली है। इसके आते ही आईएएस के चेहरे से ईमानदारी का नकाब उतरने में देर नहीं लगेगी।
सिंधिया का भविष्य
म प्र में उपचुनाव परिणाम से पहले ही राजनैतिक हल्कों में भाजपा के नए नवेले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भविष्य को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में यदि अधिकांश सिंधिया समर्थक नहीं जीते तो इसका सीधा असर कुछ दिनों बाद होने वाले नगरीय निकायों की चुनाव में दिखाई देगा। इन दोनों संभागों में हजारों सिंधिया समर्थक यह उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि उनके महाराज नगर निगम, नगर पालिका चुनाव में भाजपा का टिकट दिला देंगे। यदि सिंधिया के पर्याप्त विधायक नहीं जीते तो भाजपा शायद ही सिंधिया समर्थकों को स्थानीय निकाय में मौका देगी। ऐसे में कई सिंधिया समर्थकों के कांग्रेस में वापसी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
शिवराज की लोकप्रियता
ल गभग 15 साल मप्र के मुख्यमंत्री रहने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बरकरार है। इसका एहसास उपचुनाव में हुआ। प्रदेश के सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा डिमांड शिवराज सिंह चौहान की सभाओं की गई। खास बात यह है कि कोविड-19 के संकट से गुजरने और शुगर होने के बाद भी पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा मेहनत भी शिवराज करते दिखाई दिए। सुबह से लेकर देर रात तक सभाएं करके शिवराज जब भोपाल लौटते थे तो यहां भी उनके बंगले पर देर रात तक चुनावी समीक्षाओं के दौर चलते थे। उपचुनाव के दौरान अनेक भाजपा नेता शिवराज की इस लोकप्रियता और उनकी मेहनत के कायल हो गए हैं।
और अंत में…
प्र देश के एक रिटायर आईपीएस अधिकारी की 56 संपत्तियों की शिकायत आयकर विभाग को सौंपी गई है। शिकायकर्ता ने मप्र छत्तीसगढ़ के प्रिंसिपल चीफ इन्कम टैक्स कमिश्नर से मुलाकात कर दावा किया है कि 56 संपत्तियों की यह सूची पहली है, यदि आयकर विभाग गंभीरता से जांच करता है तो इससे दुगनी कीमत की सूची वह आने वाले दिनों में विभाग को सौंपने को तैयार है।
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