उपचुनाव में सिलावट के खुले हाथ
तुलसी सिलावट ने जिस तरह से उपचुनाव लड़ा है या कहे कि लड़वाया गया है, उससे उनके साथ रहने वाले भी आश्चर्यचकित हैं। भाजपा का चुनाव प्रबंधन जो कहता था, वे वही करते थे। इधर आदेश हुआ और उधर चिंटू को फोन गया। सारी व्यवस्थाएं हो जाती थीं। आखिर ये पॉलिटिक्स है प्यारे… बूथ लेवल पर चुनाव प्रबंधन को लेकर जो भी हुआ वह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इस उपचुनाव में पहलवान ने खुले हाथ से काम किया, नहीं तो सब्जी-पुड़ी के भंडारों से ही सांवेर की राह आसान थी। अब बस परिणाम का इंतजार है और देखना है कि जितना पसीना यहां बहाया है, उसके बदले क्या मिलता है?
यादव का प्रबंधन क्या गुल खिलाएगा
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव का दावा है कि कांग्रेस जीत जाएगी। ये बात गुड्डू के बेटे अजीत के सर्वे में भी आ गई है। कल सब कुछ क्लीयर हो जाएगा। यादव चुनाव में खूब घूमे हैं और सरकार जाने के बाद देखा जाएगा कि उनका प्रबंधन कैसा है। वैसे यादव को भी जिला अध्यक्ष बने समय हो गया है और उनके शुभचिंतक राह देख रहे हैं कि अगर यादव यहांं फेल हो जाते हैं ता उन्हें जिलाध्यक्ष की कुर्सी से सरका दिया जाए।
भाजपा कार्यालय पर फिर बढ़ी हलचल
उपचुनाव निपट गए हैं और अब प्रदेश के साथ-साथ नगर और जिले की कार्यकारिणी का गठन होना है। जिन लोगों को कार्यकारिणी में आना है, उन्होंने दीनदयाल भवन की परिक्रमा लगाना शुरू कर दी है। किसको पद मिलेगा और किसको नहीं, वो संगठन तय करेगा, लेकिन कई लोगों ने अभी से ही संगठन में बायोडाटा भिजवाना शुरू कर दिए हैं, जिन्हें नगर निगम चुनाव लडऩा है।
उमेश की पतवार पहलवान के हाथ
नगर अध्यक्ष पद के नजदीक जाकर दूर हो चुके प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने जिस हिसाब से तुलसी सिलावट का दामन थामा है, उससे लग रहा है कि सबको नापने-तौलने के बाद उन्होंने अपनी नाव की पतवार पहलवान के हाथ में दे दी है। चुनाव में उन्हें जनसंपर्क प्रभारी की जवाबदारी दी गई थी, लेकिन मतदान समाप्त होने के बाद अभी भी वे सिलावट के साथ हैं। भाजपा सिलावट की जीत तय मानकर चल रही है और सिलावट अच्छे मतों से जीतते हैं तो उमेश की सिफारिश के लिए एक और दमदार नाम आ जाएगा। फिर तो उमेश को कोई दमदार कुर्सी मिलना तय है।
पटवारी अब कहां फिट होंगे
कांग्रेस की सरकार आई तो पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को फिर किसी वजनदार विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है। जिस तरह से उन्होंने उपचुनाव में कांग्रेस के लिए पसीना बहाया है, उस पसीने का पुरस्कार उन्हें मिलना है, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि अगर सरकार नहीं रही तो उन्हें क्या मिलेगा। वे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष तो हैं ही और फिर अगर 3 साल विपक्ष में बैठना रहा तो खाली बैठने से मतलब नहीं रहेगा, इसलिए वे दिल्ली से भी आस लगाए बैठे हैं।
अमानत में खयानत कर बैठे पूर्व पार्षद
भाजपा के चुनावी प्रबंधन का हिस्सा रहे शहर के एक पूर्व और ताई के नजदीकी पार्षद के खिलाफ अमानत में खयानत करने की शिकायत दादा दयालु के दरबार में पहुंची है। भांग्या क्षेत्र के कुछ मतदान केन्द्रों के कार्यकर्ता नाराज हैं, क्योंकि उनका हक मारा गया। इसी को लेकर उन्होंने दयालु से कहा कि उन्होंने हमारे साथ अच्छा नहीं किया। अब उक्त पूर्व पार्षद की दयालु के दरबार में आज पेशी होना है और देखना है कि दयालु की चक्की कैसा पीसती है।
… और अंत में
जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मतगणना के बाद भोपाल में विधायकों की बैठक बुलाई है, उससे मालवा-निमाड़ की सातों सीटों पर लडऩे वाले कांग्रेस प्रत्याशियों की आंखों में भी चमक है। उन्हें लग रहा है कि सरकार फिर से बनने वाली है। खैर! कल इस समय तो तय हो ही जाएगा कि भोपाल का टिकट किसका कटेगा और कौन सत्ता की ट्रेन में बैठने से वंचित रह जाएगा।
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