रामेश्वर धाकड़, भोपाल
प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान हो चुका है। नतीजों से पहले प्रदेश में राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है। ऐसे में प्रदेश में एक बार फिर मार्च जैसा राजनीतिक संकट गहरा सकता है। हालांकि दोनों दलों ने अपने-अपने विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है और निगरानी की जा रही है। दीपावली से पहले कांग्रेस एवं भाजपा अपने-अपने विधायकों को भोपाल बुला सकते हैं।
कांग्रेस ने सभी विधायकों को 11 नवंबर को भोपाल बुलाया है। जबकि भाजपा भी विधायकों को भोपाल बुलाने का कार्यक्रम बना रही है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने 11 नवंबर को शाम 6 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इससे एक दिन पहले 28 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आएंगे। इसके तत्काल बाद कांग्रेस द्वारा बैठक बुलाए जाने के पीछे के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं इधर भाजपा ने भी निर्दलीय एवं सपा, बसपा विधायकों को संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उपचुनाव के नतीजों से पहले जिस तरह से दोनों दलों द्वारा मोर्चाबंदी की जा रही है, उससे इस तरह की अटकलों को बल मिल रहा है कि प्रदेश में राजनीतिक संकट गहरा सकता है। ऐसे में सत्ता के लिए फिर से खींचतान हो सकती है। कमलनाथ सरकार 15 महीने तक जिन सात निर्दलीय, सपा एवं बसपा विधायकों के सहारे चली, उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी ने कवायद शुरू कर दी है। भाजपा की सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने भी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सभी नेता अलर्ट मोड में आ गए हैं। सभी विधायकों को भोपाल पहुंचने का संदेश भेजा गया है। कमलनाथ चाहते हैं कि उपचुनाव के परिणाम आने के बाद भी सभी विधायक एकजुट रहें। यही वजह है कि सभी विधायकों को 11 नवंबर को भोपाल बुलाया जा गया है।
नतीजों से पहले टेंशन में नेता
उपचुनाव में दोनों ही दल पूरी सीटेें जीतने का दावा कर रहे हैं, लेकिन 10 नवंबर को आने वाले चुनाव नतीजों से पहले ही नेताओं की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस में पीसीसी चीफ कमलनाथ एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय अगली रणनीति पर काम कर रहे हैं। दोनो नेताओं ने मप्र के बाहर के दौरे निरस्त कर दिए हैं। इसी तरह भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत मजबूत सरकार बनाने पर मंथन कर रहे हैं। इसके लिए भाजपा ने मतदान से पहले ही प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी का इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल कराना भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस को डर है कि उसके और विधायक भी टूटकर भाजपा में जा सकते हैं।
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