नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट काल में दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का चुनाव होने जा रहा है। 3 नवंबर को अमेरिकी जनता अपने नए राष्ट्रपति का चयन करेगी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें होंगी। अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया के लगभग हर देश के लिए मायने रखता है, ऐसे में हर कोई इस ओर नजरें गड़ाए बैठा है। डोनाल्ड ट्रंप या फिर जो बिडेन में से कौन अगला राष्ट्रपति बनेगा, इस पर 3 नवंबर को अमेरिकी जनता अपनी मुहर लगा देगी। हालांकि, ये प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होने वाली है, 3 नवंबर को क्या हो सकता है। इसे समझने के लिए एक नज़र डालें..
अमेरिकी चुनाव के लिए नवंबर का पहला मंगलवार फिक्स होता है। इसी के तहत इस बार 3 नवंबर को अमेरिकी जनता अपना वोट डालेगी। अमेरिकी समयानुसार, सुबह 6 बजे से वोटिंग की प्रक्रिया शुरू होगी और रात नौ बजे तक चलेगी, जो भी लोग अपने पोलिंग बूथ पर जाकर वोट डालना चाहते हैं, वो यहां पहुंचकर अपना वोट डाल सकते हैं। रात नौ बजे के बाद कोई भी अपना वोट नहीं डाल पाएगा और इस वक्त के बाद किसी और तरीके से वोट नहीं डाला जा सकता है।
दरअसल, इस बार 3 नवंबर इसलिए भी अलग होने जा रहा है क्योंकि रिकॉर्ड वोट इलेक्शन डे से पहले ही डाले जा चुके हैं। Early Ballots Votes के तहत अमेरिका में चुनाव के दिन से पहले ही नौ करोड़ से अधिक लोग वोट डाल चुके हैं, जो कि अमेरिकी चुनाव इतिहास में एक रिकॉर्ड है। 2016 के अमेरिकी चुनाव में डाले गए कुल बैलेट वोट से इस बार की संख्या करीब 65 फीसदी अधिक है। ऐसे में इस बार लोगों की नज़र 3 नवंबर के मतदान के साथ-साथ बैलेट वोट पर भी है जो कि डाले जा चुके हैं।
3 नवंबर को अमेरिकी वोटर किसके लिए वोट करेंगे?
यूं तो अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए सिर्फ दो ही उम्मीदवार हैं एक डोनाल्ड ट्रंप और एक जो बिडेन। लेकिन 3 नवंबर को वोटर सीधे इन्हें वोट नहीं करेंगे, बल्कि अपने इलाके के इलेक्टर के लिए वोट करेंगे। जो बाद में जाकर राष्ट्रपति को चुनेंगे। अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं और वहां जनसंख्या के अनुसार, हर राज्य में इलेक्टर की अलग-अलग संख्या है। ऐसे में अमेरिकी लोग अपने यहां से इलेक्टर को चुनेंगे जो अंत में राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे भारत में लोग सांसद चुनते हैं और फिर प्रधानमंत्री चुना जाता है। बस अंतर ये होगा कि कोई भी इलेक्टर चुनाव के वक्त किसी भी उम्मीदवार को वोट डाल सकता है।
अक्सर अमेरिकी चुनाव में वोटिंग के तुरंत बाद ही एग्जिट पोल आना शुरू हो जाता है, जो कुछ हद तक नतीजों की तस्वीर साफ करता है, लेकिन इस बार माहौल दूसरा है क्योंकि करीब नौ करोड़ वोट मेल-इन वोट से डाले गए हैं और ऐसे में इन वोटों की गिनती में काफी वक्त लगता है और मूड पहचानना मुश्किल होता है। हालांकि, वोटिंग खत्म होने के कुछ वक्त बाद से ही कुछ राज्यों के नतीजे आ सकते हैं, जो पूरा सिलसिला 8 दिसंबर तक चलेगा।
अमेरिकी चुनावी सिस्टम के अनुसार, हर राज्य में वोटिंग की गिनती पूरी करने के लिए अलग-अलग तारीख फिक्स की गई हैं लेकिन 8 दिसंबर तक सभी को वोटों की गिनती पूरी करनी है। ऐसे में पूरे नवंबर में अलग-अलग पोल में सामने आई तस्वीर, अंतिम नतीजे से अलग भी हो सकती है। 8 दिसंबर को इलेक्टर्स की गिनती पूरी हो जाएगी जो बाद में 14 दिसंबर को राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे।
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