बीजिंग। चीन (China) भले ही भारत के साथ शांति वार्ता कर रहा हो लेकिन चीनी सेना (PLA) ने भयंकर सर्दियों में भी लद्दाख से पीछे न हटने की पूरी तैयारी कर ली है। मिली जानकारी के मुताबिक जिनपिंग सरकार (Xi Jinping) ने लद्दाख और ऐसे ही हाई एल्टीट्यूड एरिया के लिए हाईटेक उपकरण जिनमें स्पेशल कपड़े, जूते और टेंट शामिल हैं मुहैया करा दिए हैं। इन उपकरणों के सहारे चीनी सेना के जवान न सिर्फ आने वाली भीषण सर्दी से निपटने में सक्षम होंगे बल्कि युद्ध की तैयारियां भी जारी रहेंगी।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने गुरुवार को बताया कि चीनी सेना के वे जवान जो हाई एल्टीट्यूड एरिया में तैनात हैं उनके लिए स्पेशल अरेजमेंट किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हालत हैं कि सेना को सर्दियों में भी इन कठिन इलाकों में रुकना पड़ सकता है ऐसे में उन्हें इन आधुनिक उपकरणों की काफी ज़रुरत थी। ऐसा माना जा रहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के स्पष्ट निर्देश हैं कि अब चीनी सेना पूर्वी लद्दाख बॉर्डर में एक इंच भी पीछे नहीं हटनी चाहिए। चीनी रक्षा मंत्रालय के इस बयान से अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीन अपनी सेना को क्षेत्र में माइनस 40 डिग्री तक तापमान पहुंच जाने पर भी पीछे नहीं हटाएगा। कर्नल वू ने ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि निवास के मामले में जवानों को नई डिस्माउंटेबल सेल्फ एनर्जाइज्ड इंसुलेटिड केबिन उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें वे खुद भी स्थापित कर सकते हैं।
कर्नल वू ने दावा किया कि पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर माइनस 40 डिग्री तापमान वाले क्षेत्रों में इन आधुनिक केबिन के अंदर का तापमान अधिकतम 15 डिग्री पर बरकरार रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, इस केबिन के अलावा जवानों को अलग-अलग स्लीपिंग बैग, डाउन ट्रेनिंग कोट और कोल्डप्रूफ जूते भी उपलब्ध कराए गए हैं। इन सभी की खासियत ठंड को रोकने और अंदर की गर्मी को बनाए रखने की है। साथ ही ये पोर्टेबल और बेहद आरामदेह हैं। इन्हें विशेष तौर पर ऊंचे ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए ही डिजाइन किया गया है।
चीन ने दावा किया कि चीनी सेना को खाना गर्म रखने के लिए भी थर्मल इंसुलेशन उपकरण दिया गया है। साथ ही ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आउटडोर रखने लायक तत्काल तैयार होने वाले खाने का परीक्षण किया जा रहा है। कर्नल वू ने दावा किया कि चीनी सेना अग्रणी चौकियों पर तैनात अपने जवानों तक ड्रोन विमानों के जरिये ताजे फल और सब्जी उपलब्ध कराएगी। बता दें कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के शून्य से कम तापमान वाले मौसम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पांच महीने पहले मई की शुरुआत में चालू हुए सैन्य गतिरोध के दौरान तनाव बढ़ने पर हजारों सैनिक तैनात किए थे, जो अब भी वहीं तैनात हैं। हालांकि भारत और चीन, विभिन्न सैन्य, कूटनीतिक व राजनयिक वार्ताओं के जरिये तनाव को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट कर दिया कि चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर चल रही सैन्य वार्ताओं का किसी बाहरी मुद्दे से कोई संबंध नहीं है। यह बयान हाल ही में हुई भारत-अमेरिका 2प्लस2 वार्ता के बाद आया है, जिसमें दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के सैन्य हस्तक्षेप को लेकर चर्चा की थी। साथ ही दोनों देशों ने इस वार्ता के दौरान एक सैन्य समझौता भी किया था।
चीन के साथ कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता के अगले दौर के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी दी। उन्होंने कहा, दोनों पक्ष सैन्य व कूटनीतिक चैनलों के जरिये वार्ता जारी रखने और जल्द से जल्द टकराव खत्म करने के लिए दोनों पक्षों की सहमति वाले हल को तलाशने पर सहमत हैं। श्रीवास्तव भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे और इस दौरान उनसे पूछा गया था कि क्या चीन जानबूझकर भारत और अमेरिका के बीच 2प्लस2 वार्ता के दौरान हुए बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बेका) के कारण सैन्य वार्ता का अगला दौर लंबित कर रहा है।
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