नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में कोरोना महामारी और मौसम की मार झेलने वाले सेब उत्पादक पहली बार अपनी उपज की ऑनलाइन बिक्री कर बाजार के हिसाब से कीमत वसूल कर पाएंगे। हार्टीकल्चर (बागवानी) विभाग ने बुधवार से मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (एमआईएस) की शुरुआत कर दी है। पहली बार कश्मीर का किसान अपने सेबों की बिक्र ऑनलाइन कर पाएगा। विभाग का दावा है कि पिछले वर्ष हुई गलतियों से सबक लेते हुए व्यवस्था को और बेहतर किया गया है। इस बिक्री के लिए दरें भी तय कर दी गई हैं।
हार्टीकल्चर विभाग के निदेशक एजाज अहमद भट के अनुसार, इस बार भी एमआईएस स्कीम को लागू किया गया। हमारे बेहतर किस्म का सेब उपलब्ध है जिसको अच्छी मार्केट की जरूरत है और किसान इस स्कीम का लाभ उठाकर अपने माल की बिक्री कर सकते हैं। भट ने बताया कि हम पिछले वर्ष की गलतियों से सबक लेते हुए इस बार खामियों को दूर करेंगे।
इस बार एमआईएस स्कीम की खास बात पहली बार उत्पादकों द्वारा सेब की ऑनलाइन बिक्री की जा सकेगी। इसके लिए उन्हें विभाग की वेबसाइट पर जाकर अपनी जानकारी देकर रजिस्टर करना होगा जिसके बाद उसे एक एसएमएस के जरिये जानकारी भेजी जाएगी ताकि वो अपनी नजदीक की मंडी में जाकर अपना माल बेच सकेगा।
इस स्कीम में किसानों को परिवहन संबंधी कोई परेशानी नहीं होगी क्योकि शेष सारा काम नैफेड द्वारा किया जाएगा। पिछले वर्ष किलो के हिसाब से खरीद की गई थी लेकिन इस बार पेटियों के हिसाब से माल खरीदा जाएगा। जिस किसान का माल खरीदा जाएगा उसका भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा।
घाटी के सेब उत्पादकों की मांग थी कि एमआईएस खरीद ग्रेडिंग में रियायत दी जाए ताकि किसानों को अच्छा दाम मिल सके। इस सबको ध्यान में रखते हुए विभाग के निदेशक एजाज अहमद भट ने सरकार से किसानों के एमआईएस को लागू करने के लिए सिफारिश की थी।
जेएंडके स्टेट्स इकोनॉमिक सर्वे 2017 के अनुसार, प्रदेश की 3.4 लाख हेक्टेयर भूमि पर फलों की खेती होती है। इसमें 48 फीसदी जमीन का उपयोग सेब उगाने के लिए किया जाता है। सेब के कारोबार से कश्मीर के लगभग सात लाख परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है।
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